उत्तर प्रदेश में हाल ही में ‘लव जिहाद’ के खिलाफ लाए गए अध्यादेश को राज्यपाल आनंदीबेन पटेल से मंजूरी मिलने के बाद यह कानून बना दिया गया है। इसके साथ ही इस कानून की खिलाफत में भी कई आवाजें उठ रही हैं। लव जिहाद के इस कानून का विरोध करने वालों की सूचि में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज मदन लोकुर का नाम भी शामिल हैं। मदन लोकुर ने कहा है कि ये कानून फ्रीडम ऑफ च्वाइस यानी चुनने की स्वतंत्रता के खिलाफ है।
पिछले रविवार को लोकुर ने कहा, ‘उत्तर प्रदेश में हाल ही में पास हुआ वो अध्यादेश दुर्भाग्यपूर्ण है, जिसमें जबरन, धोखे या बहकावे से धर्मांतरण कर शादी कराने की बात कही गई है। यह अध्यादेश इसलिए भी दुर्भाग्यपूर्ण है क्योंकि यह अध्यादेश चुनने की आजादी, गरिमा और मानवाधिकारों की अनदेखी करता है। सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज ने कहा कि धर्मांतरण संबंधी शादियों के खिलाफ ये कानून सुप्रीम कोर्ट द्वारा चुनने की आजादी और व्यक्ति की गरिमा की रक्षा के लिए विकसित किए गए न्यायशास्त्र का उल्लंघन हैं।
इसके बाद मदन लोकुर ने 2018 के हादिया केस का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा, ‘2018 के हादिया केस में सुप्रीम कोर्ट की ओर से दिए गए आदेश का क्या हुआ? उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के हवाले से कहा कि उस आदेश में कहा गया था कि एक महिला अपनी मर्जी से धर्म परिवर्तन कर इस्लाम अपना सकती है और अपनी पसंद के आदमी से शादी कर सकती है।’ राजनीतिक चर्चाओं में लव जिहाद कहे जाने वाले मामले को ही गैर कानूनी धर्मांतरण माना जाएगा और ऐसे मामले में दोषी पाए जाने पर 5 से 10 साल की सजा की बात कही गई है।
पिछले दिनों हाईकोर्ट ने एक फैसले में महज शादी के लिए धर्म परिवर्तन को अवैध ठहराया था। प्रियांशी उर्फ समरीन व अन्य की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने कहा था कि शादी के लिए धर्म बदलना स्वीकार नहीं किया जाएगा। विवाह के लिए धर्म परिर्वतन आवश्यक नहीं है। इस फैसले के बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने घोषणा की थी कि सरकार लव जिहाद पर एक प्रभावी और सख्त कानून बनाएगी। इस कानून के जरिए सरकार नाम, पहचान और अपना धर्म छिपाकर बहन बेटियों के साथ खिलवाड़ करने वाले लोगों से सख्ती से पेश आएगी।