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UP के कॅालेजों के सिलेबस में शामिल होगा गलवान घाटी गतिरोध, विद्यार्थियों को भारतीय सेना के प्रति करेगा प्रेरक

उत्तर प्रदेश के सभी यूनिवर्सिटी में रक्षा अध्ययन के पाठ्यक्रम में जल्द ही मई 2020 की गलवान घाटी गतिरोध सहित विभिन्न लड़ाइयों में भारतीय सैनिकों की वीरता को प्रदर्शित करने वाले अध्याय शामिल होंगे।

उत्तर प्रदेश के सभी यूनिवर्सिटी में रक्षा अध्ययन के पाठ्यक्रम में जल्द ही मई 2020 की गलवान घाटी गतिरोध सहित विभिन्न लड़ाइयों में भारतीय सैनिकों की वीरता को प्रदर्शित करने वाले अध्याय शामिल होंगे। इसमें महाभारत काल से शुरू होने वाले ऐतिहासिक युद्ध भी शामिल होंगे। बदलावों को पेश करने के लिए, शिक्षाविदों, सैन्य विज्ञान विशेषज्ञों और राजनीतिक हस्तियों का एक थिंक टैंक केंद्रीय और साथ ही राज्य के विश्वविद्यालयों में पढ़ाए जा रहे इतिहास और सैन्य विज्ञान पर फिर से विचार करने की आवश्यकता पर मंथन कर रहा है।
भारतीय सेना के विजय गाथा पर डाला जाएगा प्रकाश
सूत्रों के अनुसार, सिलेबस को इस तरह से संशोधित किया जा रहा है कि जिन युद्धों में भारतीय सेना विजयी हुई, उन पर प्रकाश डाला जा सके। रक्षा अध्ययन के छात्रों को उन लड़ाइयों से अवगत कराया जाएगा, जिनमें भारतीय सेनाओं की वीरता और रणनीति ने अंतर पैदा किए। इलाहाबाद विश्वविद्यालय के रक्षा और रणनीतिक अध्ययन विभाग के प्रमुख प्रोफेसर प्रशांत अग्रवाल, जो पिछले साल राज्य के विश्वविद्यालयों में पाठ्यक्रम में बदलाव की सिफारिश करने वाली समिति के सदस्य थे, ने कहा, हालांकि भारत-चीन युद्ध युद्धविराम में समाप्त हुआ वह भी इसलिए कि सर्दी शुरू होने के बाद चीनी युद्ध जारी रखने में सक्षम नहीं होते, आम धारणा यह है कि भारत युद्ध हार गया, लेकिन ऐसे कई उदाहरण हैं, जहां भारतीय सेना ने चीन को मुंहतोड़ जवाब दिया।
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छात्रों को भारतीय सेना की बहादुरी से करवाया जाएगा अवगत
मुट्ठी भर भारतीय सैनिकों ने अपेक्षाकृत हल्के हथियारों से चीनी पक्ष को बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचाया। प्रोफेसर अग्रवाल ने कहा, मुगल, ब्रिटिश और स्वतंत्रता के बाद के युग के दौरान लड़े गए कई युद्धों और लड़ाइयों को ‘पुनर्विलोकन’ करके भारतीय सेनाओं का महिमामंडन करने और दुनिया को हमारे सैनिकों की वीरता की वास्तविक तस्वीर दिखाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा, विदेशी लेखकों की दृष्टि से लड़ाई और सेना की ताकत को देखते हुए छात्र भारतीय सेना की बहादुरी से कैसे अवगत हो सकते हैं? इस विषय पर भारतीय लेखकों द्वारा कम किताबें लिखी गई हैं। सूत्रों के मुताबिक इस मुद्दे पर कमेटी के सदस्य कई दौर की बैठक कर चुके हैं।
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