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गोरखपुर : पर्यटन विकास को मिलेगी उड़ान, CM योगी देंगे चिड़ियाघर की सौगात

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कर्मभूमि गोरखपुर में अशफाकउल्ला खां प्राणि उद्यान (चिडियाघर) पूरी तरह से बनकर तैयार है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आज इसका लोकार्पण करेंगे। इसके बाद लोगों के लिए चिडियाघर खोल दिया जाएगा।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कर्मभूमि गोरखपुर में अशफाकउल्ला खां प्राणि उद्यान (चिडियाघर) पूरी तरह से बनकर तैयार है। 31 प्रजाति के 153 वन्यजीव भी आ गए हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आज इसका लोकार्पण करेंगे। इसके बाद लोगों के लिए चिडियाघर खोल दिया जाएगा।
वर्तमान में शहीद अशफाकउल्ला खां प्राणी उद्यान के नाम की पहचान वाले गोरखपुर चिड़ियाघर की नींव, मई 2011 में ही पड़ गई थी, लेकिन मार्च 2017 तक काम के नाम पर रस्म अदायगी ही थी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस प्रोजेक्ट को पुनर्जीवित किया और पूर्वाचलवासियों को बड़ी सौगात दी। 27 मार्च को होली पर्व पर उपहार स्वरूप चिड़ियाघर को मुख्यमंत्री लोकार्पित करेंगे। अपनी तमाम खूबियों से यह देश-प्रदेश का नायाब चिड़ियाघर है।
पूर्वाचल और खासकर गोरखपुर के विकास की दृष्टि से 27 मार्च इतिहास बनने जा रहा है। पर्यटन विकास के साथ रोजगार की संभावनाओं की बड़ी लकीर खींच शहीद अशफाकउल्ला खां प्राणी उद्यान नई नजीर पेश कर रहा है। चिड़िया घर में आने वाले दिनों में इजराइल से जेब्रा भी मंगाए जाएंगे। अधिकांश वन्यजीव लखनऊ और कानपुर के चिड़ियाघर से लाए गए हैं। पर्यटकों के लिए चिड़ियाघर परिसर में दो कैफेटेरिया, बस सफारी, बुजुर्गों के लिए बैटरी चालित गोल्फ कार और जल्द ही पीपीपी मॉडल पर टॉय ट्रेन की सुविधा भी उपलब्ध होगी।
योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने से पहले तक चिड़ियाघर कागजी प्रोजेक्ट तक ही सीमित था, काम के नाम पर शून्यता और उपलब्धियों के नाम पर सात प्रोजेक्ट मैनजरों का कार्यकाल था। वर्ष 2011 से यहां कार्य की प्रगति के नाम पर निर्माण कार्य कराने वाली संस्था राजकीय निर्माण निगम के प्रोजेक्ट मैनेजरों का ट्रांसफर ही होता रहा। जनवरी 2018 तक सात प्रोजेक्ट मैनेजर बदले गए। ले आउट अनुमोदन, निर्माण और वन्यजीवों की आमद सब सीएम योगी की देन है।
केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण (सीजेडए) से ले आउट अनुमोदित कराने, निर्माण कार्य शुरू कराने से लेकर पूर्ण करने और बाड़ों को वन्यजीवों से आबाद करने का कार्य सीएम योगी ने किया। योगी सरकार ने अगस्त 2018 में 181.83 करोड़ रुपए का अनुमोदन कराकर निर्माण का शुभारंभ कराया। इसमें तेजी लाने को जनवरी 2019 में व्यय वित्त समिति से अनुमोदन बढ़ाकर 259.15 करोड़ (जीएसटी समेत) किया। गोरखपुर चिड़ियाघर के मास्टर ले आउट को सीजेडए में फाइनल कराने का काम भी सीएम योगी के निर्देश पर अक्टूबर 2017 में किया गया।
मुख्यमंत्री योगी ने व्यक्तिगत रुचि ली और समय-समय पर स्थलीय भ्रमण और समीक्षा के जरिए अफसरों का मार्ग दर्शन करते रहे। उनके ही निर्देश पर चिड़ियाघर के इंट्रेंस प्लाजा को गोरखनाथ मंदिर की थीम पर और यहां के साइनेज, कैफेटेरिया, कियॉस्क, फाउंटेन, हॉस्पिटल को महात्मा बुद्ध के थीम पर विकसित किया गया। यही नहीं, चिड़ियाघर में लायन और राइनोसोरस एन्क्लोजर, पीकॉक एवियरी, सरपेंटेरियम, बटरफ्लाई पार्क, 7 डी थिएटर, गोल्फ कार आदि चिड़िया घर की खूबसूरती को चार चांद लगाते हैं।
34 एकड़ के विशाल वेटलैंड वाला यह पहला चिड़ियाघर है। इस वेटलैंड के संरक्षण पर ध्यान देने से यहां दो सालों से स्थानीय पक्षियों के साथ बहुतायत में प्रवासी पक्षी विचरण करने आ रहे हैं। इसके अलावा तमाम खूबियां इसे नायाब बना रही हैं। इंडोर बटरफ्लाई पार्क, सरपेंटेरियम (सांप घर) और वाक थ्रू एवियरी सहित कई नायाब खूबियां हैं।
योगी के निर्देश पर चिड़ियाघर में 48 सीटर 7-डी थियेटर भी बनाया गया है। यह सरकारी क्षेत्र का पहला 7-डी थियेटर है। इस अत्याधुनिक थियेटर में शो के दौरान बारिश, बिजली, बुलबुले, धुआं और कोहरा आदि के साथ सुगंध का भी अहसास होगा। इसके निर्माण पर सवा दो करोड़ रुपए की लागत आई है।
गोरखपुर के चिड़ियाघर में ओडीओपी प्रोडक्ट को भी प्लेटफार्म दिया गया है। इससे पर्यटकों को यहीं ओडीओपी उत्पाद देखने और खरीदने की सुविधा भी मिलेगी। यहां के ओडीओपी शोकेस से टेराकोटा जैसे विश्व प्रसिद्ध पारम्परिक उत्पाद की ब्रांडिंग भी और मजबूत होगी।
चिड़ियाघर में वन्यजीवों के लाने का सिलसिला कुसम्ही जंगल स्थित विनोद वन से शुरू हुआ। वर्तमान में यहां 153 वन्यजीवों से बाड़े आबाद हैं। इटावा लायन सफारी से यहां गुजरात के बब्बर शेरों की फरवरी में आमद हुई। चीता, तेंदुआ, दरियाई घोड़ा, हिरण, बारासिंघा, चीतल, सियार, अजगर, रसल वाइपर, बोनट मकाक (बंदर की एक प्रजाति), सांभर, लोमड़ी (फाक्स), काकड़ (बार्किं ग डियर), पाढ़ा (हॉग डियर), घड़ियाल, जंगली बिल्ली, कछुआ, साही, तोता, मोर आदि यहां लाए जा चुके हैं।

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