लखनऊ : उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा विधायकों को टाइप छह (बड़े आकार का) बंगला आवंटित करने के फैसले का इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ में सरकार ने बचाव किया है। विधायकों शिवपाल यादव, पंकज सिंह, नीरज वोरा और विधान परिषद के सदस्य आशीष पटेल को बंगला आवंटित किये जाने के फैसले का राज्य सरकार ने बचाव किया है। उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ के समक्ष चल रही सुनवाई के दौरान सरकार ने कहा कि विधायकों को नियमों के अनुरूप ही बंगले आवंटित किये गए हैं। इस पर अदालत ने प्रमुख सचिव, सचिवालय को दो सप्ताह में विस्तृत हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया है। अदालत ने यह भी कहा है कि यदि तय समय में हलफनामा दाखिल नहीं किया जाता तो कोर्ट भारी हर्जाना लगाएगी।
न्यायमूर्ति पंकज कुमार जायसवाल और न्यायमूर्ति आलोक माथुर की पीठ ने यह आदेश मोतीलाल यादव की ओर से दाखिल एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया। सुनवाई के दौरान सरकारी वकील ने कहा कि ‘यूपी अलॉटमेंट ऑफ हाउसेज अंडर कंट्रोल ऑफ इस्टेट डिपार्टमेंट एक्ट’ के ‘रूल पांच, क्लॉज टू’ के तहत ही विधायकों को बंगला आवंटित किया गया है। लिहाजा उक्त आवंटन कहीं से भी विधि विरुद्ध नहीं है। इस पर अदालत ने दो सप्ताह में प्रमुख सचिव को हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया।
याचिका में नियमों की अनदेखी कर कर विधायकों को बड़े बंगले आवंटित किये जाने का आरोप है। उक्त बंगले विधायकों को नहीं आवंटित किये जा सकते। याचिका में इन सभी बंगलों का आवंटन रद्द करने की मांग की गई है। गौरतलब है कि पंकज सिंह नोएडा से और नीरज बोरा लखनऊ उत्तर से भारतीय जनता पार्टी के विधायक हैं। पंकज सिंह रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के पुत्र हैं। आशीष पटेल विधान परिषद के सदस्य हैं और अपना दल सोनेलाल पार्टी के पदाधिकारी हैं और पूर्व केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल के पति हैं। शिवपाल सिंह यादव प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के प्रमुख हैं और समाजवादी पार्टी के विधायक हैं। यादव को बसपा सुप्रीमो मायावती से खाली कराया गया बंगला आवंटित किया गया था जबकि आशीष पटेल को पूर्व मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी का बंगला मिला है।