काशी विश्वनाथ मन्दिर-ज्ञानवापी मस्जिद केस में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) को जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए अंतिम अवसर के तौर पर 10 दिनों का समय मंगलवार को दिया। जवाबी हलफनामा दाखिल करने की यह अनुमति विधि सेवा समिति के पास 10,000 रुपये का भुगतान करने की शर्त के साथ दी गई। यह राशि सुनवाई की अगली तिथि 31 अक्टूबर, 2022 को या इससे पहले जमा की जानी आवश्यक है।
जस्टिस प्रकाश पाडिया ने वाराणसी के अंजुमन इंतजामिया मस्जिद द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया। जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए और मोहलत दिए जाने के ASI के अनुरोध पर कोर्ट ने कहा, “इस मामले पर फिर से सुनवाई की गई। इस बीच, सीनियर अधिवक्ता शशि प्रकाश सिंह और ASI की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता मनोज कुमार सिंह ने कम से कम 6 सप्ताह का समय देने का अनुरोध किया।”
कोर्ट ने कहा, चूंकि यह दीवानी वाद वाराणसी की दीवानी कोर्ट में 1991 से लंबित है, न्याय हित में आखिरी मौके के तौर पर 10 दिनों का समय जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए इस शर्त के साथ दिया जाता है कि विधि सेवा समिति के पास 10,000 रुपये जमा किया जाएगा। इससे पूर्व, 28 सितंबर को हाई कोर्ट ने वाराणसी की अदालत के उस आदेश पर 31 अक्टूबर तक के लिए रोक लगा दी थी जिसमें ASI को काशी विश्वनाथ मन्दिर -ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वेक्षण करने का निर्देश दिया गया था।
याचिकाकर्ता अंजुमन इंतजामिया मस्जिद जोकि वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद की प्रबंधन समिति है, ने वाराणसी की जिला कोर्ट में 1991 में दायर मूल वाद की पोषणीयता को चुनौती देते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट में यह याचिका दायर की थी।मूल वाद में उस स्थान पर जहां वर्तमान में विवादास्पद ज्ञानवापी मस्जिद मौजूद है, प्राचीन काशी विश्वनाथ मन्दिर को बहाल करने की मांग की गई है। याचिकाकर्ताओं ने इस वाद में दावा किया है कि उक्त मस्जिद, मंदिर का भाग है।