उत्तर प्रदेश पुलिस ने शुक्रवार को कहा कि उसने हाथरस में 2020 में एक दलित लड़की के कथित सामूहिक दुष्कर्म और मौत के बाद दंगे भड़काने की साजिश के आरोप में प्रतिबंधित पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के एक ‘‘पदाधिकारी’’ को केरल से गिरफ्तार किया है। पुलिस के विशेष कार्य बल (एसटीएफ) ने एक बयान में कहा कि करीब 50 वर्ष की आयु के संदिग्ध कमाल केपी को शुक्रवार दोपहर तकरीबन 12 बजे केरल के मलप्पुरम जिले में किझातुर में उसके आवास से गिरफ्तार किया गया।
एसटीएफ की नोएडा और आगरा इकाई के एक संयुक्त दल ने कमाल को गिरफ्तार किया। ऐसा माना जाता है कि वह पीएफआई के ‘हिट स्क्वायड’ को संभाल रहा था।बयान के अनुसार, वह पीएफआई के शीर्ष पदाधिकारियों में से एक है और संगठन के दिल्ली मुख्यालय में भी कार्यालय सचिव के तौर पर काम करता है।
एसटीएफ ने कहा, ‘‘कमाल केपी हाथरस में दुखद घटना के बाद दंगे भड़काने की सोची समझी साजिश के संबंध में मथुरा में मात पुलिस थाने में दर्ज एक मामले में वांछित था। वह प्रतिबंधित पीएफआई का सक्रिय सदस्य है और उस पर 25,000 रुपये का इनाम है।’’एसटीएफ के एक अधिकारी के अनुसार, भारतीय दंड संहिता की धारा 153ए, 295ए, सूचना प्रौद्योगिकी कानून और गैर-कानूनी गतिविधियां निवारण अधिनियम (यूएपीए) के प्रावधानों के तहत दर्ज एक मामले में यह नौवीं गिरफ्तारी है।उन्होंने बताया कि इन नौ लोगों में से पत्रकार सिद्दीक कप्पन समेत दो संदिग्धों को अभी तक जेल से रिहा कर दिया गया है। हालांकि, हाथरस घटना के बाद साम्प्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने की साजिश में पीएफआई की कथित भूमिका को लेकर दर्ज मामले की जांच अभी की जा रही है।
उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले के बूलगढ़ी गांव में सितंबर 2020 में में एक 19 वर्षीय दलित युवती के साथ रेप का मामला सामने आया था। इस मामले में गांव के चार युवक आरोपी थे, वहीं पीड़िता की दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में इलाज के दौरान घटना के 15 दिन बाद मौत हो गई थी।चार लड़कों पर आरोप था कि उन्होंने युवती की गला दबाकर हत्या करने की कोशिश की थी।वहीं इस मामले में युवती के भाई ने गांव के ही संदीप ठाकुर के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। हालांकि बाद में युवती के बयान के आधार पर गांव के ही तीन अन्य युवक लवकुश सिंह, रामू सिंह और रवि सिंह को भी इस केस में आरोपी बनाया गया।