श्रीकृष्ण जन्मस्थान परिसर में स्थित शाही ईदगाह मस्जिद को हटाकर उसकी भूमि वापस जन्मस्थान न्यास को सौंपे जाने को लेकर की गई मांग से संबंधित अपील पर सोमवार को करीब दो घंटे बहस हुई। इसके बाद जिला न्यायाधीश साधना रानी ठाकुर ने आगामी 16 अक्टूबर को अपील पर सुनवाई करने या नहीं करने का फैसला लेने का दिन तय किया है।
गौरतलब है कि विगत 25 सितम्बर को लखनऊ निवासी अधिवक्ता रंजना वाजपेयी एवं अन्य आधा दर्जन व्यक्तियों ने खुद को भगवान भक्त बताते हुए विराजमान श्रीकृष्ण भगवान एवं स्थान श्रीकृष्ण जन्मस्थान की ओर से सिविल जज (प्रवर वर्ग) की अदालत में एक याचिका दाखिल की थी।
याचिका में मुख्यत: श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान एवं शाही ईदगाह प्रबंधन समिति के बीच 1969 में हुए समझौते को अवैधानिक बताते हुए उसे निरस्त कर उक्त भूमि वास्तविक मालिक श्रीकृष्ण जन्मस्थान को सौंपे जाने का अनरोध किया गया था।
इस याचिका को सुनवाई के लिए अनुपयुक्त बताते सिविल जज (प्रवर वर्ग) न्यायालय की प्रभारी एवं अपर जिला जज व त्वरित न्यायालय (संख्या दो) छाया शर्मा ने 30 सितम्बर को खारिज कर दिया था। इसके बाद वादी पक्ष के अधिवक्ता हरिशकर जैन व विष्णु शंकर जैन ने जिला न्यायालय में अपील करने का फैसला लिया और सोमवार को जिला न्यायाधीश साधना रानी ठाकुर की अदालत में अपील प्रस्तुत की।
आपराधिक मामलों के जिला शासकीय अधिवक्ता शिवराम सिंह तरकर ने बताया, ‘‘ जिला न्ययायाधीश से वादी पक्ष के अधिवक्तताओं हरीशंकर जैन व विष्णु शंकर जैन ने उनके मुवक्किलों की अपील सुनवाई के लिए स्वीकार किए जाने की प्रार्थना की।’’
तरकर ने बताया, ‘‘ उन्होंने तर्क प्रस्तुत किया कि न्यायाधीश ने यह कहते हुए उनकी याचिका खारिज की थी कि चूंकि हम लोग समझौते में पक्षकार नहीं है इसलिए उस पर कोई ऐतराज नहीं उठा सकते।
दूसरे भक्त होने के कारण ही वाद दाखिल करने योग्य नहीं माना जा सकता, लेकिन उच्चतम न्यायाल द्वारा सुने गए तीन मामलों के उदाहरण हैं जिनमें भक्तों को भी भगवान की ओर से तत्संबंधी मामलों में वाद दायर करने का अधिकारी होने की बात कही गई है।’’ उन्होंने बताया, ‘इस पर न्यायाधीश ने निचली अदालत की पत्रावली तलब करते हुए 16 अक्टूबर की तारीख नियत की है। उसी दिन इस संबंध में आगे सुनवाई करने या न करने का फैसला सुनाया जाएगा।’’