इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने हाल ही पारित एक आदेश में उस होम गार्ड के फिर से बहाली के आदेश दिए हैं, जिसको समलैंगिक होने के कारण नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया था। अदालत ने कहा, ‘‘सार्वजनिक स्थल पर एलजीबीटी समुदाय के सदस्यों के बीच लगाव के किसी तरह के प्रदर्शन तब तक अभद्रता की श्रेणी में नहीं आता, जब तक इससे जन व्यवस्था बिगड़ने की संभावना नहीं रहती। इसे बहुसंख्यक नजरिए के आधार पर नहीं लिया जा सकता।’’
बता दें कि होमगार्ड को अभद्रता के आरोप में एक वीडियो को आधार बनाकर बर्खास्त कर दिया गया था। इसमें उन्हें अपने पार्टनर के प्रति स्नेह प्रदर्शित करते हुए देखा गया था। न्यायमूर्ति सुनीता अग्रवाल ने बुलंदशहर में होमगार्ड की नियुक्ति को रद्द करने के आदेश को रद्द कर दिया और होमगार्ड्स, मुख्यालय लखनऊ के कमांडेंट जनरल को तत्काल प्रभाव से सेवा में वापस लेने का निर्देश दिया।
अदालत ने जिला कमांडेंट द्वारा दायर जवाब पर ध्यान देते हुए यह आदेश पारित किया. इसमें कहा गया था कि ‘याचिकाकर्ता का यौन गतिविधि में शामिल था। इस पर हाई कोर्ट ने कहा कि यह आदेश नवतेज सिंह जौहर बनाम भारत संघ के मामले में सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय का उल्लंघन है, जिसमें यह देखा गया था कि “किसी व्यक्ति की यौन अभिविन्यास उसकी व्यक्तिगत पसंद है और इसे मानने का कोई कार्य अपराध संबंधित व्यक्ति की निजता के अधिकार में हस्तक्षेप होगा।” अदालत ने अपने 2 फरवरी के आदेश में यह भी कहा कि याचिकाकर्ता सभी स्वीकार्य बकाए का हकदार होगा और मानदेय का नियमित रूप से भुगतान किया जाएगा।