एआईएमपीएलबी (All India Muslim Personal Law Board) ने अयोध्या में बाबरी मस्जिद निर्माण के लिये सुन्नी वक्फ बोर्ड को पांच एकड़ जमीन देने पर योगी आदित्यनाथ मंत्रिमण्डल कि सहमति पर कहा कि वक्फ बोर्ड मुसलमानों का प्रतिनिधि नहीं है और अगर वह जमीन लेता है तो इसे देश के मुसलमानों का फैसला नहीं माना जाना चाहिए।
श्री राम मंदिर निर्माण ट्रस्ट की घोषणा के बाद सुन्नी वक्फ बोर्ड को भी मिली पांच एकड़ जमीन
इस बीच, एआईएमपीएलबी के वरिष्ठ कार्यकारिणी सदस्य यासीन उस्मानी ने मंत्रिमण्डल के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि बोर्ड, उससे जुड़ी प्रमुख तंजीमों और लगभग सभी मुसलमानों का फैसला है कि हम अयोध्या में कोई और जगह नहीं लेंगे। सुन्नी वक्फ बोर्ड मुसलमानों का नुमाइंदा नहीं है। वह सरकार की संस्था है। बोर्ड अगर जमीन लेता है तो इसे मुसलमानों का फैसला नहीं माना जाना चाहिये।
गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय ने गत नौ नवम्बर को अयोध्या मामले में निर्णय देते हुए विवादित स्थल पर राम मंदिर निर्माण कराने और मुसलमानों को अयोध्या में ही किसी प्रमुख स्थान पर मस्जिद बनाने के लिये पांच एकड़ जमीन देने का आदेश दिया था। हालांकि आल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने मस्जिद के बदले कोई और जमीन लेने से इनकार कर दिया था।