अयोध्या में नवरात्रि के पहले दिन भगवान रामलला को बाहर पहली बार गर्भगृह से निकालकर नए चांदी के आसन पर विराजित किया गया। इस दौरान उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी मौजूद थे। इसी के साथ श्रीराम मंदिर निर्माण के प्रथम चरण की शुरूआत हो गई है। मुख्यमंत्री योगी के अलावा प्रधान पुजारी सत्येंद्र दास व ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपालदास के उत्तराधिकारी कमल नयन दास और ट्रस्ट के महामंत्री चंपत राय भी मौजूद रहे।
तड़के सुबह 3 बजे रामजन्मभूमि परिसर में स्थित गर्भगृह में रामलला को स्नान और पूजा-अर्चना के बाद अस्थायी मंदिर में शिफ्ट कर दिया गया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ट्वीट के माध्यम से लिखा, "भव्य राम मंदिर के निर्माण का पहला चरण आज सम्पन्न हुआ, मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्री राम त्रिपाल से नए आसन पर विराजमान।" मानस भवन के पास एक अस्थायी ढांचे में "रामलला" की मूर्ति को स्थानांतरित किया। भव्य मंदिर के निर्माण हेतु 11 लाख का चेक भेंट किया।"
इसके पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की उपस्थिति में शंखनाद व घंटे-घड़ियाल के बीच भोर में फूल व अक्षत के बीच रामलला की पालकी नए मंदिर के लिए प्रस्थान हुई। रामलला का नया सिंहासन साढ़े नौ किलो चांदी से बनवाकर अयोध्या राज परिवार के मुखिया विमलेन्द्र मोहन प्रताप मिश्र ने रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को समर्पित कर दिया है। चांदी के सिंहासन पर रामलला विराजमान होंगे।अयोध्या करती है आह्वान...
— Yogi Adityanath (@myogiadityanath) March 25, 2020
भव्य राम मंदिर के निर्माण का पहला चरण आज सम्पन्न हुआ, मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्री राम त्रिपाल से नए आसन पर विराजमान...
मानस भवन के पास एक अस्थायी ढांचे में 'रामलला' की मूर्ति को स्थानांतरित किया।
भव्य मंदिर के निर्माण हेतु ₹11 लाख का चेक भेंट किया। pic.twitter.com/PWiAX8BQRR
वैकल्पिक गर्भगृह में रामलला की गरिमा व सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध और दर्शनार्थियों की सुविधा का पूरा ध्यान रखा गया है। रामलला की शिटिंग के बाद मुख्यमंत्री योगी गोरखपुर रवाना हो गए। पहले भी यह उम्मीद थी कि रामलला की शिटिंग के समय मुख्यमंत्री मौजूद रह सकते हैं लेकिन, कोरोना की वजह से मुख्यमंत्री का यह दौरा बेहद गोपनीय रखा गया। इसके लिए सोमवार से अनुष्ठान आरंभ हो चुका था। 10 वैदिक आचार्यों का समूह ने वेद मंत्रों के साथ रामलला को वैकल्पिक गर्भगृह में स्थापित किया। यह वैदिक विद्वान दिल्ली, प्रयागराज, काशी और अयोध्या के है।