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यूपी में सरकारी एवं निजी संपत्ति को नुक्सान पहुंचने वाले आंदोलनकारियों को होगी जेल, विधेयक को मिली मंजूरी

उत्तर प्रदेश की विधानसभा ने सोमवार को उत्तर प्रदेश लोक एवं निजी संपत्ति विरुपण निवारण विधेयक, 2021 समेत दो विधेयकों को बहुमत से मंजूरी दे दी।

उत्तर प्रदेश की विधानसभा ने सोमवार को उत्तर प्रदेश लोक एवं निजी संपत्ति विरुपण निवारण विधेयक, 2021 समेत दो विधेयकों को बहुमत से मंजूरी दे दी। विधानसभा अध्‍यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने दोनों विधेयकों के पारित किये जाने की घोषणा की। उत्तर प्रदेश लोक एवं निजी संपत्ति विरुपण निवारण विधेयक, 2021 के प्रभावी होने के बाद उत्तर प्रदेश में आंदोलनकारियों को सरकारी और निजी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने का दोषी पाये जाने पर एक वर्ष कारावास या पांच हजार रुपये से लेकर एक लाख रुपये तक जुर्माना भरना पड़ेगा। 
इसके अलावा विधानसभा में उत्तर प्रदेश गुंडा नियंत्रण (संशोधन) विधेयक, 2021 भी पारित हो गया। उत्तर प्रदेश लोक एवं निजी संपत्ति विरुपण निवारण विधेयक, 2021का प्रस्‍ताव संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्‍न्‍ना ने सदन के सामने रखा। समाजवादी पार्टी के सदस्‍य उज्‍ज्‍वल रमण सिंह ने इसे प्रवर समिति को सौंपने की मांग करते हुए कहा कि सरकार जल्‍दबाजी में अधिनियम बनाती है और खुद ही उसे वापस लेती है। 
नेता विरोधी दल राम गोविंद चौधरी ने कहा कि यह सरकार केवल पीठ थपथपाने के लिए अधिनियम बना रही है। उन्होंने कहा कि जबसे आजादी मिली तबसे दीवारों पर लेखन की परंपरा है, अगर इस पर रोक लगा दी जाएगी तो राजनीतिक दल अपनी अभिव्‍यक्ति कैसे करेंगे। उन्‍होंने कहा कि किसी धरना-प्रदर्शन, आंदोलन में कोई गुंडा या असा‍माजिक तत्‍व घुस कर क्षति पहुंचा दे तो सरकार राजनीतिक दल के कार्यकर्ता से वसूली करेगी, यह ठीक नहीं है। 
बहुजन समाज पार्टी के दल नेता लालजी वर्मा ने भी इस विधेयक को प्रवर समिति को सौंपे जाने की मांग करते हुए कहा कि लोकतांत्रिक आंदोलन को दबाने की दृष्टि से यह विधेयक लाया गया है और इसे सोच विचार कर प्रस्‍तुत किया जाना चाहिए। संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्‍ना ने कहा कि यह विधेयक अच्‍छी भावना से लाया गया है, अगर कोई किसी की दीवार को बदरंग करना चाहता है तो उसे रोकने के लिए यह विधेयक लाया गया है, इससे अच्‍छी परंपरा शुरू होगी। 
प्रवर समि‍ति को सौंपे जाने का विपक्ष का प्रस्‍ताव बहुमत न मिलने के कारण गिर गया और इसके बाद यह विधेयक बहुमत से पारित हो गया। 
मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने इस मामले में कहा था कि राज्‍य में राजनीतिक जुलूसों, प्रदर्शन, हड़ताल, कामबंदी तथा आंदोलन में लोक संपत्ति तथा निजी संपत्ति का नुकसान किया जाता है, पंपलेट, पोस्‍टर चिपकाकर तथा स्‍याही या पेंट से दीवारों पर लेखन किया जाता है जिससे सरकारी और निजी संपत्तियों का स्‍वरूप बिगड़ जाता है। योगी ने कहा था कि राज्‍य में कस्‍बों और नगरों के सौंदर्य को सुरक्षित रखने और लोकहितों के संरक्षण के लिए कानून बनाएंगे और क्षति पहुंचाने वाले से वसूली की जाएगी। इसी के बाद इस विधेयक का स्‍वरूप सामने आया है। 
राज्‍य में इस विधेयक के प्रभावी होने के बाद राजनीतिक जुलूसों, प्रदर्शन, हड़ताल, कामबंदी और आंदोलन के दौरान लोक संपत्ति और निजी संपत्ति को क्षति पहुंचाना भारी पड़ेगा। इस दौरान केंद्र या राज्य सरकार, स्थानीय प्राधिकरण या स्थानीय निकाय, निगम या राज्य अधिनियम द्वारा स्थापित संस्थाओं को नुकसान नहीं पहुंचाया जा सकेगा। आंदोलन के दौरान सौंदर्य को नष्ट करने, तोड़ फोड़ करने, किसी तरह खराब करने या क्षति पहुंचाने, उसमें स्याही, खड़िया, पेंट या किसी अन्य सामग्री से चिह्नित करने से होने वाले नुकसान को इस कानून के दायरे में रखा गया है। 
उत्तर प्रदेश गुंडा नियंत्रण (संशोधन) विधेयक, 2021 भी सोमवार को विधानसभा में पारित हो गया और दोनों विधेयकों को विधान परिषद में भेज दिया गया। उत्तर प्रदेश गुंडा नियंत्रण (संशोधन) विधेयक में गुंडा अधिनियम के तहत संयुक्‍त पुलिस आयुक्‍त और उप पुलिस आयुक्‍त को कार्रवाई का अधिकार दिया गया है। संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्‍ना ने विधेयक का प्रस्‍ताव रखा जिसे नेता प्रतिपक्ष राम गोविंद चौधरी और नेता बसपा लालजी वर्मा ने प्रवर समिति को सौंपने की मांग की। 
विपक्ष के नेताओं का कहना था कि पुलिस ही गुंडा अधिनियम लगाये और पुलिस ही सुनवाई करे तो निष्‍पक्षता की उम्‍मीद नहीं रहेगी। नेताओं की मांग थी कि इसकी सुनवाई का अधिकार प्रशासनिक अधिकारियों को दिया जाए। संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्‍ना ने बताया कि यह कानून सिर्फ उत्तर प्रदेश के लखनऊ और गौतमबुद्धनगर जिले में प्रभावी होगा जहां पुलिस कमिश्‍नर प्रणाली लागू की गई है। 
खन्‍ना का तर्क था कि पुलिस आयुक्त वरिष्‍ठ अधिकारी होते हैं और जिलों में डीएम उनसे कनिष्‍ठ होते हैं इसलिए इसमें संशोधन किये गये हैं। खन्‍ना ने बताया कि उत्तर प्रदेश गुंडा नियंत्रण अधिनियम, 1970 की धारा दो में संशोधन किया गया है जिसके तहत अभी तक गुंडा अधिनियम में जिलाधिकारी और अपर जिलाधिकारी को सुनवाई और कार्रवाई का अधिकार था लेकिन अब लखनऊ और नोएडा (गौतमबुद्धनगर) की कमिश्‍नरेट पुलिस प्रणाली में संयुक्‍त पुलिस आयुक्‍त और उप पुलिस आयुक्‍त को सुनवाई और कार्रवाई का अधिकार मिलेगा। 
संसदीय कार्य मंत्री ने बताया कि इसमें एक और संशोधन किया गया है जिसके तहत पुलिस आयुक्‍त के न्‍यायालय में संयुक्‍त पुलिस आयुक्‍त और उप पुलिस आयुक्‍त के फैसले को लेकर अपील की जा सकती है। यह सिर्फ पुलिस कमिश्‍नर प्रणाली वाले दोनों जिलों के लिए ही लागू होगा। प्रवर समिति को सौंपे जाने का प्रस्‍ताव गिर जाने के बाद विधानसभा में यह विधेयक बहुमत से पारित हो गया। 

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