राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) उपाध्यक्ष जयंत चौधरी ने नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के विरोध में भड़की हिंसा की न्यायिक जांच कराए जाने की मांग की है। जयंत चौधरी ने गुरूवार को मुजफ्फरनगर और मेरठ में हिंसा के शिकार लोगों के परिजनों से मुलाकात करने के बाद पत्रकारों से कहा कि पुलिस ने घरों में घुसकर तोड़फोड़ की और महिलाओं एवं बुजुर्गो से अभद्रता की। गोलीबारी का शिकार हुए ज्यादातर गरीब हैं।
उन्होने कहा कि तलाशी के नाम पर पुलिस ने गरीब अल्पसंख्यकों पर जमकर कहर बरपाया। सरकार को प्रभावित परिवारों को उनके घर के सामान के एवज में हर्जाना देना चाहिए और पूरे मामले की न्यायिक जांच करानी चाहिए। उन्होने कहा कि दोषी करार दिए जाने से पहले हिंसा के आरोपियों से वसूली गलत है। कानून में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है। जयंत चौधरी ने कहा कि सीएए की देश को जरूरत नहीं है। सरकार को अधिकार प्राप्त है कि वह किसी नागरिकता दे या किसे ना दे।
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इस तरह के मुद्दे उछाल कर सरकार देश की बेरोजगारी और आर्थिक मंदी से लोगों का ध्यान हटाना चाहती है। गौरतलब है कि जयंत चौधरी को बुधवार को मुजफ्फरनगर जाने से रोक दिया गया था लेकिन आज उन्होने मेरठ और मुजफ्फरनगर में हिंसा प्रभावित परिवारों से मुलाकात की और उन्हे हरसंभव मदद का आश्वासन दिया।