कानपुर के एक निजी स्कूल में हिंदू छात्रों को प्रार्थना में कलमा पढ़ाने का मामला सामने आया है। अभिभावकों के विरोध पर स्कूल ने कहा है कि सिर्फ राष्ट्रगान ही गाया जाएगा। स्कूल ने अपनी सफाई में कहा है कि स्कूल में चार धर्मों- हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई की प्रार्थना होती है। दरअसल, कुछ हिंदू छात्र अपने घर पर स्कूल में गाई गई प्रार्थना को दोहराते हुए पाए गए। इसके बाद मामला परिजनों के सामने आया। अभिभावकों की आपत्ति के बाद स्कूल ने कलमा के पढ़ने पर रोक लगा दी है।
कलमे के खिलाफ अभिभावकों का प्रदर्शन
एक मां-बाप ने कहा, ‘मेरी पत्नी ने बताया कि बच्चा कंपकंपी के साथ इस्लाम की बातें दोहरा रहा है। जब बच्चे से पूछा गया कि उसने यह कलमा कहाँ से सीखा तो उसने बताया कि उसे यह कलमा स्कूल में सिखाया जाता है। इसके बाद मैंने स्कूल जाकर इसकी शिकायत की। लेकिन स्कूल ने इस्लामिक नमाज़ को हटाने से इनकार कर दिया। फिर मैंने एक व्हाट्सएप ग्रुप बनाया। इस ग्रुप के जरिए मैंने माता-पिता और बीजेपी से जुड़े लोगों को इसकी जानकारी दी।
अब इस्लामिक प्रार्थना नहीं होगी
वहीं इस मामले पर कानपुर के एसीपी निशंक शर्मा ने कहा है कि कलमा को स्कूल की प्रार्थना में पढ़ाने का मामला उनके संज्ञान में आया। हमने इस बारे में स्कूल प्रशासन से बात की है। उन्होंने बताया कि स्कूल में सभी धर्मों की प्रार्थनाएं शामिल हैं। जब से अभिभावकों ने आपत्ति जताई है, स्कूल ने कालमे को प्रार्थना से बाहर कर दिया है।