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लखीमपुर खीरी हिंसा मामला : आशीष मिश्रा जमानत पर रिहा

लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा को इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा सुनाई गई जमानत शर्तों को पूरा करने के बाद मंगलवार शाम को यहां जेल से रिहा कर दिया गया।

लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा को इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा सुनाई गई जमानत शर्तों को पूरा करने के बाद मंगलवार शाम को यहां जेल से रिहा कर दिया गया।
लखीमपुर खीरी जिला जेल के अधीक्षक पी पी सिंह ने पत्रकारों को बताया कि प्रक्रिया पूरी होने के बाद उन्हें (आशीष मिश्रा) जेल से रिहा कर दिया गया है।
यहां अदालत का आदेश लखीमपुर खीरी जेल पहुंचने के बाद मिश्रा की रिहाई की प्रक्रिया शुरू हुई और इस बीच जेल के मुख्य द्वार पर जहां मीडियाकर्मियों और लोगों की भीड़ जमा हो गई। वहीं, आशीष मिश्रा को परिसर में जेल अधीक्षक के आवास के बगल के एक गेट से बाहर निकाला गया। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा जिले में मौजूद हैं। हालांकि, लखीमपुर कस्बे में उनके घर पहुंचे मीडियाकर्मी अजय मिश्रा से नहीं मिल सके।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने सोमवार को लखीमपुर में हिंसा में चार किसानों की मौत के मामले में आशीष मिश्रा के जमानत आदेश में सुधार किया, जिससे आशीष की जेल से रिहाई का रास्ता साफ हो गया। उच्‍च न्‍यायालय के पहले के आदेश में कुछ धाराएं लिखने से छूट गयी थीं जिसके कारण आशीष की रिहाई अटक गयी थी जबकि उसकी जमानत 10 फरवरी को ही हो गयी थी।
न्यायमूर्ति राजीव सिंह की पीठ ने आशीष मिश्रा द्वारा दायर सुधार आवेदन पर सोमवार को यह आदेश पारित किया था। अर्जी में कहा गया था कि अदालत ने मामले के गुण-दोष पर विचार करते हुए 10 फरवरी को आशीष को जमानत दे दी थी तथा जमानत आदेश में भादंसं की धाराओं- 147 , 148, 149, 307, 326, 427 सपठित धारा 34, आयुध अधिनियम की धारा 30 तथा मोटर वाहन अधिनियम की धारा 177 का उल्लेख है।
इसमें कहा गया था कि उपरोक्त धाराओं के अतिरिक्त भादंसं की धारा 302 तथा 120 बी का उल्लेख जमानत आदेश में होना चाहिए था क्योंकि अदालत ने जमानत अर्जी सभी धाराओं के अपराध को ध्यान में रखते हुए सुनी थी और फिर आदेश पारित किया था। अर्जी में कहा गया था कि किन्तु ऐसा प्रतीत होता है कि गलती से उक्त धाराएं उल्लेख से छूट गई हैं जिस कारण आदेश को सुधारकर उक्त धाराओं का उल्लेख करना जरूरी है क्योंकि इसके बिना जेल से रिहाई नहीं हो पाएगी।
उच्‍च न्‍यायालय ने अर्जी पर सोमवार को सुनवाई करते हुए इसे मंजूर कर लिया और आदेश में भादंसं की धारा 302 व 120 बी जोड़ने का आदेश जारी कर दिया।
जानिए ! क्या है पूरा मामला
उल्लेखनीय है कि पिछले वर्ष लखीमपुर खीरी जिले के तिकुनिया थाना क्षेत्र में किसान आंदोलन के दौरान भड़की हिंसा में चार किसानों समेत आठ लोगों की मौत हो गयी थी। किसानों की मौत के मामले में आशीष मिश्रा और उसके सहयोगियों को आरोपी बनाया गया और वह पिछले साल अक्टूबर से ही जेल में बंद था।
लखीमपुर खीरी की आठ विधानसभा सीटों पर चौथे चरण में 23 फरवरी को मतदान होना है।
वहीं, आशीष मिश्रा को मिली जमानत पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए, किसान आंदोलन का एक प्रमुख चेहरा और भारतीय किसान संघ (भाकियू) के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) आठ लोगों की मौत से जुड़े लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में उच्चतम न्यायालय जाएगा।
टिकैत ने कहा, “पूरे देश और दुनिया ने अजय और आशीष मिश्रा के सबसे कुख्यात लखीमपुर खीरी प्रकरण को देखा। आशीष को जघन्य अपराध करने के बावजूद तीन महीने के भीतर जमानत मिल जाती है। हर कोई इसे देख रहा है और वह आज जेल से बाहर निकलेगा।’’
उन्होंने कहा कि भारतीय दंड संहिता की धारा 120 बी के तहत आपराधिक साजिश का आरोपी व्यक्ति धारा 302 (हत्या) के तहत आरोपी व्यक्ति की तुलना में ‘अधिक खतरनाक’ है।

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