इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ ने कहा है कि राजनैतिक हस्तियों एवं मंत्रियो के दवाब में सरकारी कर्मचारियों के किये गए स्थानान्तरण कानून के तहत उचित नहीं माने जा सकते।
न्यायालय ने एक मामले में पूर्व मंत्री के दबाव में दो दिन में एक कर्मचारी का चार बार स्थानान्तरण करने वाले अपर निदेशक परिवार कल्याण का तबादला लखनऊ से फतेहपुर किये जाने के आदेश पर रोक लगा दी है।
अदालत का मानना है कि स्थानांतरण मामलो में कानून को नजरंदाज नहीं किया जा सकता। यह आदेश न्यायमूर्ति मनीष माथुर की पीठ ने अपर निदेशक परिवार कल्याण डॉक्टर संजय कुमार सहवाल की ओर से अधिवक्ता आलोक मिश्र द्वारा दायर याचिका पर दिए है।
याची डॉक्टर पर आरोप था कि उन्होंने अपने एक कर्मचारी का स्थानान्तरण दो दिन में चार बार किया था। इस आधार पर याची से कारण बताओ नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया था और बाद में याची का तबादला लखनऊ से फतेहपुर कर दिया गया था।
याचिका दायर कर याची ने अपने तबादले के आदेश को चुनौती उच्च न्यायालय में दी। याची की ओर से कहा गया कि एक पूर्व मंत्री के कहने पर याची ने दबाव में आकर कर्मचारी का तबादला किया था।
याची ने अदालत में मंत्री का पत्र भी पेश किया। कहा कि याची ने तत्कालीन मंत्री के कहने पर अपने अधीनस्थ कर्मी का स्थानातंरण किया था। इसमे याची का कोई दोष नही है। अदालत ने याची के तबादले पर अंतरिम रोक लगाते हुए अगली सुनवाई 23 जुलाई को निर्धारित की है।