देश के कई हिस्सों में लाउडस्पीकर को लेकर बवाल मचा हुआ है, इस विवाद के बीच इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए मस्जिदों में लाउडस्पीकर लगाने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया है। हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता को फटकार लगते हुए कहा कि मस्जिद में लाउडस्पीकर लगाना मौलिक अधिकारों की सूचि में नहीं आता है, यह कानून पहले ही बन चुका है कि धार्मिक स्थलों फिर चाहे वह मंदिर हो या मस्जिद उन्हें लाउडस्पीकर लगाने का संवैधानिक अधिकार नहीं है।
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने याचिका को किया खारिज
बता दें कि यह याचिका इरफान नाम के एक शख्स ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में दाखिल की है, इस याचिका में बदायूं के बिसौली जिले के एसडीएम द्वारा दिए निर्देश को चुनौती दी गयी है। दरअसल एसडीएम ने मस्जिद में लाउडस्पीकर लगाने की मंजूरी देने से इंकार कर दिया था जिस फैसले के खिलाफ इरफान ने हाई कोर्ट का रुख किया। याचिकाकर्ता के मुताबिक एसडीएम का लाउडस्पीकर लगाने की अनुमति ना देना पूरी तरह से असंवैधानिक है और उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है।
लाउडस्पीकर में अजान करना इस्लाम का अभिन्न अंग नहीं
याचिका पर टिप्पणी करते हुए कोर्ट ने कहा कि यकीनन अजान इस्लाम धर्म में अभिन्न अंग है जिस पर किसी तरह की कोई मनाई नहीं है, जहां तक बात रही लाउडस्पीकर की तो यह इस्लाम का हिस्सा नहीं है। बता दें कि यह लाउडस्पीकर विवाद महाराष्ट्र से शुरू होकर देश के कई हिस्सों तक फैल गया है, इस बीच यूपी में बड़ी संख्या में मंदिरों और मस्जिदों से लाउडस्पीकर को या तो हटा दिया गया है या उनका वॉल्यूम नियम के अनुसार कम कर दिया गया है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के मुताबिक रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक लाउडस्पीकर का इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं है।
राज ठाकरे ने कि लाउडस्पीकर विवाद की शुरुआत
इसके साथ सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के मुताबिक ऑडिटोरियम, कॉन्फ्रेंस हॉल, कम्युनिटी और बैंक्वेट हॉल जैसे बंद स्थानों पर इसे बजा सकते हैं। साथ ही किसी भी आयोजन के वक्त अनुमति लेकर लाउडस्पीकर का इस्तेमाल किया जा सकता है। बता दें कि यह विवाद मनसे प्रमुख राज ठाकरे के कारण सुर्खियों में आया क्योंकि उन्होंने महाराष्ट्र सरकार को अल्टीमेटम दिया था कि अगर 4 मई तक सभी मस्जिदों से लाउडस्पीकर नहीं हटे तो वह दोगुनी आवाज में हनुमान चालीसा का पाठ करेंगे।