उत्तर प्रदेश की धार्मिक वाराणसी में गुरुपूर्णिमा के अवसर पर मंगलवार को लाखों श्रद्धालुओं ने पवित्र गंगा नदी में आस्था की डुबकी लगायी।
ऐतिहासिक दशाश्वमेध घाट एवं असि घाट समेत अधिकांश गंगा घाटों पर तड़के चार बजे से ही दूर-दूर से आये श्रद्धलुओं के आने का सिलसिला शुरू हो गया था। लाखों लोगों ने गंगा नदी में स्नान कर पूजा-अर्चना की और गरीबों को दान देकर पुण्य कमाया। श्री काशी विश्वनाथ मंदिर एवं श्री संकट मोचन मंदिर समेत तमाम प्रमुख मंदिरों में अन्य दिनों की अपेक्षा दर्शन-पूजन करने वालों अधिक भीड़ उमड़ी।
बुधवार रात एक बजकर 31 मिनट पर चंद्रग्रहण होने से नौ घंटे पहले मंगलवार अपराह्न साढ़ चार बजे सूतक काल शुरू हो गया था। इस वजह से श्री काशी विश्वनाथ मंदिर को छोड़कर अधिकांश मंदिरों के कपाट बंद कर दिया गये थे। बहुत से श्रद्धालु मंदिर पहुंचने के बाद भी देवी-देवताओं के दर्शन-पूजन नहीं कर सके और उन्हें निराशा होकर लौटना पड़।
हालांकि, कई मंदिरों के बाहर सूतक काल शुरू होने का समय बताते हुए मंदिर के कपाट बंद किये जाने के कारण का उल्लेख करते हुए सूचना पहले से दी गई थी, लेकिन बाहर से आये हजारों श्रद्धालु जानकारी के अभाव में परेशान हुए।
बुधवार से सावन माह शुरू होने के कारण शिव भक्तों की भारी भीड़ और गुरुपुर्णिमा पर स्नान करने वालों की भारी संख्या में आने की संभावना के मद्देनजर दशाश्वमेध घाट समेत तमाम प्रमुख घाटों और वहां पहुंचने के रास्तों पर जरूरी इंतजाम किये गए हैं।
स्थानीय पुलिस एवं पीएसी के जवानों के अलावा प्रमुख स्थानों पर यातायात पुलिस के जवान तैनात है। घाट की ओर जाने वाले मार्गों पर वाहनों की अवाजाही पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। बाबा की नगरी ‘बंब-बंब भोले और हर-हर महादेव’ के जयकारों से गूंज रही है।