राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को गोवर्धन शहर में मानसी गंगा कुंड में जल प्रदूषण को नियंत्रित करने और यह जांच करने के निर्देश दिए कि जल कुंड में सीवर का पानी न गिरे। न्यायाधीश रघुवेंद्र राठौड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि बोर्ड ‘कुंड’ में सीवर का पानी गिराने वाले लोगों या अन्य तरीके से उसके पानी को प्रदूषित करने वाले लोगों के खिलाफ कार्रवाई करके जल प्रावधान कानून, 1974 के तहत अपनी शक्तियों का इस्तेमाल कर सकता है।
एनजीटी ने कहा कि बोर्ड मानसी गंगा कुंड में सीवर का पानी या कोई घरेलू कचरा न गिरने दे। पीठ ने कहा, ‘‘राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी मानसी गंगा कुंड के नमूने तत्काल लें और इसकी जांच कराएं कि क्या पानी पीने योग्य, नहाने के लिए सही है तथा कानून के तहत निर्धारित मानकों का पालन करता है। रिपोर्ट 10 दिन के भीतर सौंपें।’’
भूलकर भी गोवर्धन पूजा में न करें ये 7 अशुभ काम
एनजीटी ने भरतपुर के जिला मजिस्ट्रेट को आठ नवंबर को उसके समक्ष पेश होने तथा कच्ची परिक्रमा में सीमेंट टाइल्स को हटाने से संबंधित आदेश का पालन करने के बारे में उसे सूचित करने के भी निर्देश दिए। पुराणों के अनुसार, जब भगवान कृष्ण ने व्रज वृंदावन के निवासियों को इंद्र देव के प्रकोप से बचाया था तो उन्होंने उन्हें गोवर्धन पर्वत की पूजा करने की सलाह दी और उन्होंने पूजा की तथा पर्वत के चारों ओर परिक्रमा की।
गोवर्धन पर्वत की करीब 23 किलोमीटर की ‘परिक्रमा’ है और इसे पूरा करने में पांच से छह घंटे लगते हैं। एनजीटी ने पहले कहा था कि गोवर्धन में बिना पंजीकरण संख्या के ई-रिक्शा चलना अवैध है और उसने मथुरा के मंदिरों के लिए प्रसिद्ध इस शहर में उनके नियमन के निर्देश दिए थे। एनजीटी मथुरा स्थित गिरिराज परिक्रमा संरक्षा संस्थान और अन्य की याचिका पर सुनवाई कर रहा है जिसमें एनजीटी के चार अगस्त 2015 के निर्देशों का पालन करने का अनुरोध किया गया है।