दिल्ली से सटे नोएडा में लापरवाही का बड़ा मामला सामने आया है। ग्रेटर नोएडा के जिम्स अस्पताल से गायब कोरोना संक्रमित मरीज का शव मोर्चरी से बरामद हुआ। 24 अप्रैल को मरीज को डिस्चार्ज करने की बात कहने वाले अस्पताल प्रशासन को जब इसकी सुचना मिली तो हड़कंप मच गया।
20 अप्रैल को कोरोना संक्रमित होने के बाद उत्तराखंड के चंपावत जिले के वनतौली गांव का रहने वाले महेश सिंह (47) अस्पताल में भर्ती हुए थे। कई दिनों से अस्पताल की ओर से जानकारी नहीं मिलने पर महेश के परिजन ने सख्ती दिखाई तो अस्पताल प्रबंधन ने मोर्चरी के शवों को दिखाया जिसमें महेश की पहचान हुई।
सांस लेने में हुई तकलीफ तो ऑक्सीजन की पूर्ति के लिए पीपल के पेड़ के नीचे जाकर लेट गए मरीज
मामले में अस्पताल ने सफाई देते हुए कहा कि महेश को आइसोलेशन में भर्ती किया गया था। दो दिन के बाद उसकी तबियत ख़राब होने लगी तो महेश को ICU में शिफ्ट किया गया। मरीज के बेहोश होने की वजह से आईसीयू में तैनात स्टाफ को मरीज के नाम और अन्य जानकारी नहीं मिल सकी। जिस कारण स्टाफ ने मरीज को अज्ञात रूप में भर्ती किया गया।
आईसीयू में इलाज के दौरान महेश की 25 अप्रैल 2021 को मौत हो गई। मौत के बाद अस्पताल प्रशासन ने मृतक की लाश को मोर्चरी में शिफ्ट करवा दिया। इसी बीच शिफ्ट चेंज होने के बाद आइसोलेशन वार्ड में तैनात स्टाफ ने मरीज को बेड पर न पाकर रिकॉर्ड में भाग जाना दर्ज दिखा दिया।
वहीं 28 अप्रैल को रेस्टोरेंट संचालक अमित व उसके अन्य साथी मरीज महेश को तलाशने पहुंचे तो वहां मौजूद डॉक्टरों ने 24 अप्रैल को ही उसे डिस्चार्ज करने की बात कह कर उन्हें गुमराह करने का प्रयास किया। उनका आरोप है कि डॉक्टर मरीज के डिस्चार्ज का पूरा पेपर भी नहीं दिखा रहे। जिसके बाद अस्पताल में काफी हंगामा हुआ।
मरीज की जानकारी नहीं मिलने पर परिजनों ने संस्थान में मरीज के बारे में पता किया। इसके बाद उनको मोर्चरी में अज्ञात में दर्ज शव की पहचान करवाई गई। जहां उन्होंने शव की पहचान अपने मरीज के रूप में कर ली है।