उत्तर प्रदेश में अब मनरेगा के तहत श्रमिकों को 15 दिन के भीतर मजदूरी नहीं देने पर जिम्मेदार अधिकारी के वेतन से वसूली की जाएगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई राज्य मंत्रिमण्डल की बैठक में यह निर्णय लिया गया। राज्य सरकार के प्रवक्ता ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने बताया कि बैठक में कुल 24 प्रस्तावों पर मुहर लगायी गयी।
उन्होंने बताया कि मनरेगा योजना के तहत श्रमिकों को 15 दिन के अंदर मजदूरी देना अनिवार्य है। ऐसा नहीं होने पर जिस स्तर पर विलम्ब हुआ उससे सम्बन्धित राज्य सरकार या केन्द्र सरकार के उत्तरदायी अधिकारियों के वेतन से जुर्माने की वसूली की जाएगी। शर्मा ने बताया कि प्रतिदिन मजदूरी के आधे प्रतिशत के हिसाब से विलम्ब दण्ड भी वसूला जाएगा।
उन्होंने बताया कि मंत्रिमण्डल ने बुंदेलखण्ड और विंध्याचल क्षेत्र के कुल नौ जिलों झांसी, बांदा, चित्रकूट, ललितपुर, हमीरपुर, जालौन और महोबा तथा विंध्य के मिर्जापुर और सोनभद्र में पाइपलाइन के जरिये 100 प्रतिशत पेयजल की आपूर्ति करने के लिये अनुमानित 86 हजार करोड़ रुपये खर्च करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी गयी है।
शर्मा ने बताया कि इसके लिये जापानी इंसेफेलाइटिस और एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम से प्रभावित और जिन क्षेत्रों में आर्सेनिक इत्यादि की वजह से पानी बहुत दूषित हो चुका है, उनको चिह्नित किया गया है। मंत्रिमण्डल की बैठक में लिये गये एक अन्य निर्णय के मुताबिक प्रदेश के एटा और हरदोई में जिन जिला चिकित्सालयों को उन्नत कर मेडिकल कॉलेज बनाया जाना है, उनके जर्जर भवनों को ढहाने के लिये क्रमश: 96.55 लाख रुपये और 1.65 करोड़ रुपये मंजूर किये गये हैं।