बाबरी मस्जिद को 6 दिसंबर 1992 को ध्वस्त किया गया था और आज इसी की 30वीं बरसी पर AIMIM प्रमुख और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने व्यक्त किया कि मैं इसे कभी नहीं भूल पाउंगा और शायद आने वाली पीढ़ी भी इसे कभी भूल ना पाएं। वही, 6 दिसंबर की तारीख को ओवैसी ने लोकतंत्र का काला दिन बताया है।
ओवैसी ने ट्वीट करके कही यह बात
6th December will forever remain a Black Day for Indian democracy. The desecration and demolition of #BabriMasjid is a symbol of injustice. Those responsible for its destruction were never convicted. We will not forget it & we will ensure that future generations remember it too pic.twitter.com/6T4LRRDmYf
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) December 6, 2022
आपकों बता दें कि एआईएमआएम प्रमुख ओवैसी ने ट्वीट करके बताया कि छ दिसंबर को लोकतंत्र का हमेशा के लिए काला दिन रहेगा। इस विनाश के लिए जो लोग जिम्मेदार उन्हें कभी भी दोषी नहीं ठहराया गया इससे यह सिद्ध होता है कि लोकतंत्र का कोई अस्तित्व नहीं है। इस दिन को इतना महत्व बनाया जाएगा कि आने वाली पीढ़ी भी इसे कभी ना भूल पाएं।
बाबरी मस्जिद को बनवाया था बाबर ने
शिलालेख के अनुसार… भारतीय उपमहाद्वीप में मुगल साम्राज्य के पहले शासक बाबर के सैन्य कमांडर मीर बाकी ने 1528-29 में अयोध्या में बाबरी मस्जिद बनवाई थी। रिपोर्ट्स के मुताबिक, 6 दिसंबर 1992 को हिंदूवादी संगठनों ने बाबरी मस्जिद को ढहा दिया था। हिंदू मान्यतों के अनुसार, जिस जगह बाबरी मस्जिद बनवाई गई थी वो भगवान राम की जन्मभूमि है।
2019 को सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया था अहम फैसला
बाबरी मस्जिद के ध्वस्त के विवाद को लेकर 9 नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाया जिसमें यह जमीन यानि की 2.77 एकड़ भूमि मंदिर को देने के लिए उचित समझा। वहीं, इसके लिहाज से उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को दूसरी जगह वैकल्पिक 5 एकड़ जमीन देने का आदेश भी सरकार को दिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने जो अपना अहम फैसला सुनाया इसका कुछ मुस्लिम संगठनों ने तो पूर्ण रूप से स्वागत किया लेकिन कुछ समुदायों ने जमकर बवाल मचाया। इसी को लेकर हैदराबात से सासंद ओवैसी बार-बार कह रहे है कि मुस्लमानों को बाबरी मस्जिद के मामलें में कभी न्याय नहीं मिल सकता है।