एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि विभाजन के बाद मुजफ्फरनगर दंगे सबसे भयानक थे और तत्कालीन सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी पीड़ितों को न्याय प्रदान करने में विफल रही। हैदराबाद के सांसद औवेसी ने यहां पार्टी की एक रैली को संबोधित करते हुए यह बात कही। उन्होंने दावा किया कि लोगों को अपने घरों और मस्जिदों को छोड़ने के लिए मजबूर किया गया था।
समाजवादी पार्टी पर मुसलमानों को केवल वोट बैंक मानने का भी आरोप
उन्होंने अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली समाजवादी पार्टी पर मुसलमानों को केवल वोट बैंक मानने का भी आरोप लगाया।औवेसी ने दावा किया कि वे उत्तर प्रदेश में एआईएमआईएम की उपस्थिति नहीं चाहते क्योंकि पार्टी अल्पसंख्यकों के मुद्दों को उठाती रही है,। उन्होंने लोगों से अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों में अपनी पार्टी को वोट देने का आह्वान किया। सांसद ने दावा किया कि उनकी पार्टी न केवल मुसलमानों बल्कि हिंदुओं और दलितों के मुद्दों को भी उठाती रही है।
मुसलमान पुरानी रवायत क्यों नहीं छोड़ रहे हैं
ओवैसी ने जाट-मुस्लिम वोटरों पर सेंध मारते हुए कहा कि लोकसभा चुनाव में जाटों ने बीजेपी को वोट देकर जिताया। जब जाट चौधरी अजीत सिंह को हराकर उन्हें छोड़ सकते हैं तो मुसलमान पुरानी रवायत क्यों नहीं छोड़ रहे हैं? ओवैसी ने आगे कहा कि 19 फीसद मुसलमान आज सियासी तौर पर मोहताज हैं। यहां मुस्लिम सपा-बसपा को वोट देते रहे और दंगों का शिकार बनते रहे इसलिए हमें अपने वोट की सियासी ताकत पहचाननी होगी। उन्होंने कहा कि भारत में आजादी का मतलब है, जिसकी लाठी उसकी भैंस। जब मुसलमानों की नाइंसाफी की बात होती है तो सपा-बसपा-आरएलडी के नेताओं के माइक बंद हो जाते हैं।