उत्तर प्रदेश के कुछ शहरों में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के विरोध में भड़की हिंसा पर पूरी तरह काबू पा लिया गया है और साप्ताहिक अवकाश के दिन रविवार को कानपुर और रामपुर समेत अन्य क्षेत्रों में फिलहाल शांति है और कहीं से भी किसी अप्रिय घटना की सूचना नहीं है। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि कानपुर और रामपुर को छोड़ कर लगभग समूचे राज्य में शनिवार को ही जनजीवन सामान्य हो गया था जबकि आज इन दोनो शहरों में भी शांति बनी हुई है। ऐहतियात के तौर पर प्रभावित क्षेत्रों में बड़ी तादाद में पुलिस बल तैनात किया गया है।
अफवाहों से बचने के लिए लखनऊ और कानपुर समेत 15 जिलों मोबाइल इंटरनेट सेवाओं को फिलहाल बाधित रखा गया है। सूत्रों के अनुसार राज्य के अलग अलग इलाकों में पिछले गुरूवार से अब तक हिंसा के शिकार 17 लोगों की मृत्यु हो गई हालांकि पुलिस ने 15 की मृत्यु की पुष्टि की है। हिंसा में 263 पुलिसकर्मियों समेत 800 लोग घायल हुए हैं। 57 पुलिसकर्मी उपद्रवियों की गोली लगने से घायल हुए है।
हिंसा के मामलों में अलग-अलग जिलों में 124 आपराधिक मुकदमे दर्ज किए गए हैं और 705 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इसके अलावा 4500 लोगों को पाबंद किया गया है। हिंसाग्रस्त इलाकों से प्रतिबंधित बोर के तमंचों के 405 से ज्यादा खोखे बरामद किए हैं। पुलिस का दावा है कि उपद्रव पर उतारू भीड़ को नियंत्रित करने के लिए उसने आंसू गैस और लाठी का प्रयोग किया और उसकी ओर से गोलीबारी नहीं की गई।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने धर्माचार्यों एवं प्रबुद्ध वर्ग से शांति बहाली के लिए सरकार का साथ देने की अपील की है। उन्होने कहा कि धर्माचार्य एवं प्रबुद्ध वर्ग शान्ति कायम रखने में जुटे प्रशासन का सहयोग करते हुए हर नागरिक को वस्तुस्थिति की जानकारी दें कि नागरिकता कानून भारत के प्रत्येक नागरिक को सुरक्षा की गारण्टी है।
उन्होने कहा कि केंद्र और प्रदेश की सरकार हर नागरिक की है। सरकार और कानून-व्यवस्था पर भरोसा रखें। किसी के बहकावे में न आएं। कानून को अपने हाथ में न लें। सरकार ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास’ की नीति के आधार पर कार्य कर रही है। सभी योजनाओं में जाति, मत, मजहब से ऊपर उठकर बिना भेदभाव के सबके कल्याण के लिए कार्य किया जा रहा है। इस सरकार में किसी के साथ अन्याय नहीं हुआ है।
लोगों को किसी के बहकावे में नहीं आना चाहिए। कानपुर से प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार शनिवार को यतीमखाना क्षेत्र में हुई हिंसा के दौरान गोली लगने से घायल दो सिपाहियों की हालत में सुधार हो रहा है। इससे पहले शुक्रवार को जुमे की नमाज के दौरान बाबूपुरवा में हुई हिंसा में घायल तीन लोगों को कल ही हैलेट अस्पताल से छुट्टी दे दी गई थी जबकि अस्पताल में भर्ती आठ अन्य में से दो की हालत गंभीर बनी हुई है।
पुलिस महानिरीक्षक कानून व्यवस्था प्रवीण कुमार ने बताया कि गुरूवार से अब तक हिंसा में मेरठ में सबसे अधिक चार लोगों की मृत्यु हुई है जबकि फिरोजाबाद में तीन, कानपुर और बिजनौर में दो दो लोग हिंसा के कारण अपनी जान गंवा बैठे। इसके अलावा वाराणसी, लखनऊ,संभल और वाराणसी में एक एक व्यक्ति की मृत्यु हो गई।
उन्होने बताया कि हिंसा में बाहरी तत्वों के शामिल होने के सबूत मिले हैं। शुक्रवार को जुमे की नमाज के बाद प्रदर्शन कर रही भीड़ में शामिल शरारती तत्वों ने हिंसा को हवा दी। मामले की जांच की जा रही है जिसमें दोषी पाए गए किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा और मामला दर्ज कर उनको दंडित करने के साथ सरकारी संपत्ति को हुए नुकसान की भरपाई की जाएगी। तनाव के मद्देनजर लखनऊ, कानपुर समेत कुछ अन्य शहरों में मोबाइल इंटरनेट सेवाओं को सोमवार दोपहर तक के लिए बाधित कर दिया गया है।
सूत्रों ने बताया कि यदि हालात सामान्य रहे तो बाधित सेवाओं को सुचारू किया जा सकता है। पुलिस शरारती तत्वों की पहचान कर रही है ताकि उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा सके। मुख्यमंत्री ने शनिवार शाम राज्यपाल आनंदीबेन पटेल से मुलाकात कर उन्हे राज्य की ताजा स्थिति से अवगत कराया और कानून व्यवस्था जल्द सुचारू बनाने का भरोसा दिलाया। गौरतलब है कि शनिवार को कानपुर में सीएए के खिलाफ प्रदर्शनकारियों ने परेड चौराहा और यतीमखाना क्षेत्र में पथराव किया और कुछ वाहनों में आग लगा दी।
उपद्रवियों ने यतीमखाना चौकी पर खड़े वाहनो में आग लगा दी। पुलिस ने लाठीचार्ज कर उपद्रवियों को खदेड़ दिया। इस बीच परेड चौराहे पर पुलिस कार्रवाई में बाधा खड़े करने के प्रयास में पुलिस ने सपा विधायक अमिताभ वाजपेई और पूर्व विधायक कमलेश दिवाकर को हिरासत में ले लिया गया। पुलिस के अनुसार दिवाकर के वाहन से आपत्तिजनक पोस्टर मिलने के बाद कार्रवाई की गई जिसका सपा विधायक विरोध कर रहे थे।
रामपुर में भी सीएए की आड़ में शनिवार को माहौल को बिगाड़ने का प्रयास किया गया और हिंसा पर उतारू भीड़ और पुलिस के बीच हुई गोलीबारी में एक शख्स की मौत हो गई। प्रशासन से अनुमति नहीं मिलने के बावजूद उलेमाओं के बंद के आवाहन पर हजारों की भीड सीएए का विरोध करने सड़कों पर आ गई। ईदगाह के पास हिंसा पर उतारू भीड ने एक पुलिस वाहन समेत कई वाहनों को आग के हवाले कर दिया।
हिंसक प्रदर्शन के दौरान एक शख्स की मौत हो गई। शनिवार शाम लखनऊ में अकबरी गेट पर पास लोगों के कुछ उपद्रवियों की गिरफ्तारी का विरोध किया जिसको लेकर 16 लोगों को हिरासत में ले लिया गया। पुलिस ने बताया कि सोशल मीडिया पर 13,101 आपत्तिजनक पोस्ट पर कार्रवाई की गई है जिनमें 63 एफआईआर दर्ज कर 102 लोगों को गिरफ्तार किया गया। इनके अलावा 442 पाबंद किये गए हैं।
पुलिस महानिदेशक ओपी सिंह ने बताया कि उग्र प्रदर्शन मामले में अब तक करीब हजार लोगों को गिरफ्तार किया गया है। लखनऊ में ही करीब 250 से अधिक लोग गिरफ्तार हुए हैं। इसमें एनजीओ और बाहरी तत्व शामिल हो सकते हैं। उन्होंने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है। लखनऊ के एसएसपी कलानिधि नैथानी ने बताया कि 250 लोगों को वीडियो फुटेज और फोटो के आधार पर चिन्हित कर गिरफ्तार किया गया है। बाकी प्रदर्शनकारियों की गिरफ्तारी के लिए छापेमारी जारी है। प्रशासन आरोपियों पर रासुका और सम्पत्ति कुर्क की कार्रवाई करने की तैयारी कर रही है।