श्रीलंका के प्रधानमंत्री महिंद राजपक्ष ने अपने देश की शांति एवं उन्नति के लिए प्रचीन धार्मिक नगरी वाराणसी के मंदिरों में रविवार को पूजा-अर्चना कर आशीर्वाद लिया।
श्री राजपक्ष ने विश्व प्रसिद्ध श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में पूजा-अर्चना के साथ अपनी यात्रा की शुरुआत की। बाद में काशी के कोतवाल माने जाने वाले बाबा काल भैरव मंदिर और भगवान बुद्ध की प्रथम उपदेश स्थली सारनाथ के बौद्ध मंदिर में दर्शन-पूजन कर श्रीलंका के साथ-साथ विश्व शांति की कामना के साथ पूजन किया।
कशी विश्वनाथ मंदिर के अर्चक डॉ. श्रीकांत मिश्र समेत छह वैदिक ब्रह्मणों ने प्रधानमंत्री राजपक्ष को श्योडपचार विधि पूजन संपन्न कराया। डॉ. मिश्र ने ‘यूनीवार्ता’ को बताया कि श्री राजपक्ष ने श्रीलंका की शांति एवं उन्नति की कामना के साथ पूजा-अर्चना की। विभिन्न पूजन समाग्रियों के साथ करीब 15 मिनट तक सूक्त पाठ के बाद विदेशी मेहमान को रक्षा सूत्र बांध कर उनकी मनोकामना पूरी होने के लिए बाबा से प्रार्थना की गई। पूजा-पाठ के बाद प्रधानमंत्री बेहद प्रसन्न मुद्रा में मंदिर से रवाना हुए।
इससे पहले उत्तर प्रदेश के धर्मार्थ कार्य एवं पर्यटन राज्यमंत्री मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ0 नीलकंठ तिवारी ने श्री राजपक्ष के मंदिर पहुंचने पर आला अधिकारियों के साथ गर्मजोशी के साथ आगवानी की। पूजा-पाठ बाद उन्हें मंदिर के धार्मिक महत्व के बारे में कई जानकारियां दीं। उन्होंने काशी विश्वनाथ मंदिर का प्रतिक तथा काशी के ऐतिहासिक एवं पौराणिक मंदिरों में होने वाले पूजा-अर्चना संबंधि विवरण पुस्तिका भेंट की। इसके उलावा उन्हें अंग वस्त्र एवं रुद्राश्र और बाबा का प्रसाद भेंट किये गए।
मंदिर परिसर प्रशासनिक कार्यालय में मंडलायुक्त दीपक अग्रवाल ने प्रधानमंत्री राजपक्ष को अंगवत्रम् एवं प्रसाद भेंट किया तथा मानचित्र की मदद से निर्माणाधीन मंदिर कोरिडोर के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी दी। उन्हें गंगा नदी से मंदिर परिसर किस तरह से जुड़ है तथा इसका क्या महत्व है।
काशी विश्वाथ मंदिर में पूजा के बाद श्री राजपक्ष ने बाबा काल भैरव मंदिर में दर्शन-पूजन किया, जहां उन्हें बाबा की तस्वीर भेंट की गई।
अधिकारिक सू्त्रों ने बताया कि श्री राजपक्ष ने विश्वशांति के प्रतिक भगवान बुद्ध की प्रथम उपदेशस्थली सारनाथ के मूलगंध कुटी विहार में बौद्ध मंदिर में शांति की प्रार्थना के साथ दर्शन-पूजन किया। उन्होंने बोधि वृक्ष की परिक्रमा कर विश्वशांति की कामना के साथ दीप जलाया। मूलगंध कुटी विहार के भिक्षु मोधांकर थेरो ने विविधान के साथ प्रधानमंत्री को पूजा कराया।
इस अवर पर श्री राजपक्ष ने कहा कि उन्हें यहां आकर महसूस हुआ कि सारनाथ विश्व शांति का सबसे बड़ केंद, है। आगंतुक रजिस्टर पर उन्होंने लिखा कि वह बौद्ध धर्म मानने वालों के सबसे पवित्र स्थल सारनाथ में आकर खुद को सौभाग्शाली महसूस कर रहे हैं।
इससे पहले सारनाथ पहुंचने पर भारतीय पुरातत्व विभाग के अधिकारियों के अलावा महाबोधि सोसायटी ऑफ इंडिया के महासचिव पी शिवली थेरो ने उनका जोरदार स्वागत किया। अधिकारियों ने राजपक्ष को सारनाथ की प्रचीन काल में की गई खुदाईयों एवं अन्य ऐतिहासिक महत्व के फोटो दिखाये। प्रधानमंत्री ने यहां के बौद्ध भिक्षुओं से आशीर्वाद प्राप्त किया। विदेशी ने मेहमान सारनाथ में धमेख स्तूप समेत अन्य पुरातात्विक महत्व के स्थानों का भ्रमण किया।
श्री राजपक्ष के वाराणसी के लाल बहादुर शास्त्री हवाई अड्डा पहुंचने पर मंडालयुक्त समेत अन्य अधिकारियों से गर्मशोजी के साथ स्वागत किया। बटुकों ने शंखनाद, मंगलाचरण एवं कलाकरों ने कथक नृत्य कर स्वागत किया। काशी विश्वनाथ मंदिर एवं काल भैरव मंदिर के पास रास्ते में लोगों ने हर-हर महादेव के जयकारे से स्वागत अभिनंदन किया।
सारनाथ पहुंचने पर सड़क के दोनों किनारे खड़ स्थानीय लोगों ने हर-हर महादेव के जाकारे लगाकार उनका स्वागत किया एवं अभिनंदन किया। लोग अपने हाथों में भारत और श्रीलंका के झंडे लिये हुए थे। सूचना विभाग की ओर से उनके स्वागत में श्री राजपक्ष, प्रधानमंत्री नरेंद मोदी एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ की तस्वीरों वाले पोस्टर एवं अन्य समाग्री जगह-जगह लगाये गए थे।
गौरतलब है कि श्री राजपक्ष भारत की चार दिवसीय दौरे पर आये हुए हैं। सोमवार को वह दर्शन-पूजन के लिए भगवान बुद्ध की ज्ञानस्थली बोधगया होते हुए तिरुपति जाएंगे। अगले दिन मंगलवार को भगवान वेंकटेश्वर के सुप्रभात दर्शन करने के बाद वह स्वदेश के लिए रवाना जाएंगे।