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महिला अपराध के मामलों की पैरवी में पुलिस फिसड्डी

थानों में पाक्सो एक्ट के तहत रिपोर्ट लिखने के बाद कोर्ट में पुलिस द्वारा प्रभावी पैरवी न करने के कारण आरोपियो को सजा नही मिल पा रही है।

उत्तर प्रदेश में महिला अपराध के मामले में पुलिस का शिथिल रवैया योगी सरकार की जीरो टोलरेंस नीति को पलीता लगा रहा है। हमीरपुर जिले में महिलाओं से सम्बन्धित अपराधों में प्रभावी पैरवी न हो पाने के कारण सजा में आ रही गिरावट पर जिलाधिकारी ने चिन्ता व्यक्त की है। इस मामले में जिलाधिकरी ने अभियोजन विभाग के संयुक्त निदेशक को पत्र लिखा है।
अभियोजन विभाग के संयुक्त निदेशक बीएस वर्मा ने बताया कि जिले में महिलाओं व लड़कियो के साथ छेड़खानी की घटनाये बढ़ती जा रही है। थानों में पाक्सो एक्ट के तहत रिपोर्ट लिखने के बाद कोर्ट में पुलिस द्वारा प्रभावी पैरवी न करने के कारण आरोपियो को सजा नही मिल पा रही है। 
जिलाधिकारी अभिषेक प्रकाश ने चिन्ता जाहिर करते हुए विभाग को पत्र लिख कर कहा है कि ऐसे अपराधियों को अधिक से अधिक सजा दिलाकर सरकार की मंशानुरुप कार्यवाही की जाये। संयुक्त निदेशक अभियोजन बीएल वर्मा ने बताया कि उन्होने विभाग के समस्त अभियोजकगणों को पत्र लिखकर कहा है कि पाक्सो एक्ट के तहत महिला संबन्धी अपराधो में अपराधियों को अधिक से अधिक सजा दिलाई जाये ताकि अपराधो पर अंकुश लग सके।
श्री वर्मा ने पुलिस अधीक्षक हेमराज मीना से कहा है कि वह सभी थाना प्रभारियों को निर्देशित करे कि पाक्सो एक्ट के अभियोगों में महत्वपुर्ण साक्ष्यो को न्यायालय के सामने उपस्थित कराये। इसी प्रकार जिला शासकीय अधिवक्ता को भी आदेश जारी किये गये है। इस मामले में जिला प्रोबेशन अधिकारी से कहा गया है की बाल कल्याण समिति द्वारा नियुक्त सामाजिक कार्यकर्ताओं को आदेश जारी करे कि वह पीड़त के साथ न्यायालय जाकर उनका सहयोग करे। यही नही इस मामले में क्या प्रगति हुई है। इसको भी जिलाधिकारी को लिखित रूप से अवगत कराये। 
अधिवक्ताओं का कहना है कि ऐसे मामलो में बाल कल्याण समिति के सदस्यो को पीड़ता को कोर्ट जाने से पहले उसे वहा पर बोलने के लिये उत्साहवर्धन करना चाहिये मगर ये सदस्य मौके पर नही पहुचते। जिससे पीड़ता कोर्ट के सामने जवाब देने मे संकोच करती है और मामला कमजोर हो जाता है। इधर दो माह के अन्तराल में कई मामलो में पुलिस की पैरवी न होने से आरोपी बरी हो गये है।

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