प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीन कृषि कानून वापस लेने का ऐलान कर दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से कृषि कानून वापस लिए जाने का ऐलान किए जाने के बाद कृषि कानून का मसला सियासी विमर्श के केंद्र में आ गया है। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों को निरस्त करने से जुड़ी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की घोषणा के बाद कहा कि चुनाव में दिख रही हार के चलते उनको सच्चाई समझ आने लगी है। लेकिन उनकी नीयत एवं बदलते रुख पर विश्वास करना मुश्किल है। उनका कहना है कि लखीमपुर में किसानों की हत्या करने वाले आशीष मिश्रा और उनके मंत्री पिता अजय मिश्रा टेनी को बचाने में पूरी बीजेपी लगी हुई थी। पीएम के मंच पर भी अजय मिश्रा को देखा गया लेकिन आज हत्यारों को बचाने वाले माफी मांग रहे हैं। उनकी नीयत पर संदेह है।
प्रियंका ने कहा कि पीएम मोदी को 600 से अधिक किसानों की शहादत से कोई फर्क पड़ता होता तो यह कानून पहले ही वापस हो जाते। जब मंत्री के बेटे ने किसानों को कुचल कर मार डाला, तब पीएम को कोई परवाह नहीं थी। बीजेपी के नेताओं ने किसानों का अपमान करते हुए उन्हें आतंकवादी, देशद्रोही, गुंडे, उपद्रवी कहा। खुद पीएम ने किसानों को आंदोलनजीवी तक बोला। कांग्रेस नेता ने कहा कि किसानों पर लाठियां बरसाकर उन्हें गिरफ़्तार किया गया। अब चुनाव में हार दिखने लगी तो पीएम को अचानक पता चला कि यह देश किसानों ने बनाया है। किसान ही इस देश का सच्चा रखवाला है। कोई सरकार किसानों के हितों को कुचलकर इस देश को नहीं चला सकती।
किसानों से बैर उन्हें लेकर डूब रहा है।
उन्होंने प्रधानमंत्री पर निशाना साधते हुए कहा कि आपकी नीयत और आपके बदलते हुए रुख़ पर विश्वास करना मुश्किल है। जब लखीमपुर में किसानों को कुचलकर मारा गया तब उसके बाद पीएम लखनऊ आए थे। क्या वो किसानों के परिवारों से मिलने नहीं जा सकते थे। लखनऊ से हेलीकॉप्टर के जरिए महज 15 मिनटों में उन तक पहुंचा जा सकता था। उन्होंने कहा कि पहले संसद में जोर-जबरदस्ती से कानून पारित करवाते हैं। फिर अप्रत्याशित विरोध का सामना करते हैं। उत्तर प्रदेश व पंजाब के चुनाव से पहले कानून निरस्त करते हैं, क्योंकि उन्हें दिख रहा था कि किसानों से बैर उन्हें लेकर डूब रहा है।
चुनाव नहीं होते तो कृषि कानूनों का वापस होना मुश्किल था
उधर, एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने वन नेशन वन इलेक्शन के प्रस्ताव को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि अगर यूपी व अन्य राज्यों में चुनाव नहीं होते तो कृषि कानूनों का वापस होना मुश्किल था। उनका कहना है कि हार का डर ही कानूनों की वापसी का कारण बना। ध्यान रहे कि ओवैसी को बीजेपी की बी टीम के तौर पर देखा जाता है।
बिहार में ओवैसी 6 दलों के साथ गठबंधन कर विधानसभा चुनाव में 20 सीटों पर आरजेडी का खेल बिगाड़ चुके हैं। हालांकि बंगाल विधानसभा चुनाव में उनकी ये रणनीति टांय टांय फिस हो गई थी। लेकिन बीजेपी मुस्लिम वोटों में बिखराव के लिए उन्हें यूपी चुनाव से पहले खासी तवज्जो दे रही है। माना जा रहा है कि ओवैसी के जरिए बीजेपी मुस्लिम वोटों को सपा से दूर करने की कोशिश में है।