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यूपी में 5 प्रतिशत की राजनीति कर रहीं हैं प्रियंका : रीता बहुगुणा जोशी

रीता ने कहा, मैंने भी इस चुनाव में बहुत परिश्रम किया है। 320 गांवों का दौरा किया है। रोज जनसभाएं हो रही हैं। कोई भी चीज मैंने चांस पर नहीं छोड़ी है।

उत्तर प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री व प्रयागराज से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की प्रत्याशी रीता बहुगुणा जोशी का मानना है कि यूपी में कांग्रेस और प्रियंका का कोई मतलब नहीं है। ये लोग यहां पर महज 5 प्रतिशत वोटों की राजनीति कर रहे हैं। इस बार के चुनाव में उनको यही मिलने वाला है।

रीता ने बताया, ”हमारा मुकबला जितने प्रत्याशी चुनाव लड़ रहे हैं, उन सभी से है। लेकिन जनता में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का क्रेज इतना ज्यादा है कि उसके आगे किसी का टिकना मुश्किल है।” पहले भाजपा से चुनाव लड़ चुके कांग्रेस के प्रत्याशी द्वारा वोट प्रभावित करने के सवाल पर उन्होंने कहा कि यह प्रयास सभी कर रहे हैं। सबके नेता आ रहे हैं। भाषण दे रहे हैं, प्रचार भी कर रहे हैं, लेकिन इनसे विचलित होने की जरूरत नहीं है। जनता ने मोदी को फिर प्रधानमंत्री बनाने की ठान ली है।

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रीता ने कहा, ”मैंने भी इस चुनाव में बहुत परिश्रम किया है। 320 गांवों का दौरा किया है। रोज जनसभाएं हो रही हैं। कोई भी चीज मैंने चांस पर नहीं छोड़ी है। लोकतंत्र में हर प्रत्याशी का फर्ज बनता है कि वह सबसे संवाद करे। मैंने वह किया है। कांग्रेस के प्रत्याशी का कोई असर नहीं है।”

24 साल तक कांग्रेस में रहने, प्रदेश अध्यक्ष जैसे पद को सुशोभित करने में बाद अब भाजपा से चुनाव लड़ने के सवाल पर उन्होंने कहा कि कांग्रेस पिछले 20 सालों से पूरी तरह अपना जनाधार खो चुकी है। जमीनी कार्यकर्ता तैयार करने का प्रयास भी नहीं किया है। केंद्रीय नेतृत्व यानी गांधी नेहरू परिवार ने प्रदेश में किसी को आगे नहीं बढ़ने दिया है।

रीता ने कहा, ”जब तक आप क्षेत्रीय नेतृत्व को इतना प्रबल नहीं करेंगे कि वह आपके लिए कार्यकर्ता खड़ा करे, तब तक कुछ होने वाला नहीं है। यहां कांग्रेस को सिर्फ 5 प्रतिशत ही वोट मिलेंगे। एक अन्य सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि मेरे पिता हेमवती नंदन बहुगुणा को आपातकाल के समय इंदिरा गांधी के कारण त्यागपत्र देना पड़ा था।”

उन्होंने कहा कि गठबंधन से हमें कोई चुनौती नहीं है। यह सिर्फ हवाई तीर चल रहे हैं। ये बिखरे हुए लोग हैं, यह गठबंधन फिर बिखर जाएगा। 2014 में जातिगत राजनीति नहीं चली। फिर नहीं चलेगी। जनता ने मोदी को फिर प्रधानमंत्री बनाने का मन बना लिया है। मोदी लहर चल चल रही है।

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एक सवाल के जवाब में रीता जोशी ने कहा, ”लोकतंत्र में कहीं से चुनाव लड़ा जा सकता है। इलाहाबाद में जन्मी हूं। लखनऊ वालों ने हाथों-हाथ लिया है। काम के कारण जनता मुझे प्यार करती है। परिश्रम के कारण कोई भी जनसेवक कहीं भी जाए, जनता उसे प्यार करेगी। जनता के बीच अपनी अच्छी छवि के कारण जानी जाती हूं। मैं राष्ट्रवाद के लिए भाजपा और मोदी के साथ हूं।”

पूर्वाचल का ऑक्सफोर्ड माने जाने वाले इलाहाबाद विश्वविद्यालय में बीते कुछ सालों में पढ़ाई का माहौल खराब करने के लिए उन्होंने सीधे तौर पर समाजवादी पार्टी को जिम्मेदार ठहराया। रीता ने कहा कि शिक्षा के मंदिर को सपाइयों ने राजनीति से रंग दिया। गलत लोगों को आगे बढ़ाया। विवि में ठेकेदारी और अपराध होने लगे। केंद्रीय विश्वविद्यालय बनाने के लिए हम लोगों ने बहुत मेहनत की है। चंद मुट्ठीभर लोग शिक्षा का माहौल खराब कर रहे हैं। उन पर रोक लगानी होगी।

शिक्षा और परिसर का माहौल बेहतर करने के प्रयास शुरू हैं। विश्वविद्यालय के छात्र और शिक्षक बहुत अच्छे हैं। वह पढ़ना-पढ़ाना चाहते हैं। छात्रावासों और लाज में देखने पर पता चलेगा। बच्चे कितनी मेहनत कर रहे हैं। बाहरी होने के सवाल पर कहा, ”मेरा जन्म इलाहाबाद में हुआ। मैं यहां पर पली-बढ़ी। यहां से पढ़ाई की। यहां से महापौर रही। जो मेरे बारे में ऐसा बोल रहा है, या तो वह नालायक है या फिर खुद बाहरी है।”

उन्होंने अपनी प्राथमिकताएं भी गिनाईं। यमुनापार में पेयजल और सिंचाई की समस्या का निवारण किया जाएगा। नैनी को उद्योगनगरी के रूप में पुन: प्रतिस्थापित करने का काम होगा। रीता बहुगुणा जोशी प्रयागराज में जन्मी और इलाहाबाद विश्वविद्यालय से इतिहास में पढ़ाई की है। यहीं इतिहास विभाग में प्रोफेसर बन गईं। 21 अक्टूबर 2016 को भाजपा में शामिल होने से पहले 24 साल तक वह कांग्रेस में रहीं।

वर्ष 2003 से अखिल भारतीय महिला कांग्रेस की अध्यक्ष और वर्ष 2007 से उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी की अध्यक्ष रहीं। वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में लखनऊ छावनी से विधायक चुनी गईं। वर्ष 2017 में भाजपा के टिकट पर लखनऊ छावनी से फिर जीतीं और महिला, परिवार कल्याण, मातृत्व एवं बाल कल्याण और पर्यटन मंत्री बनाई गईं।

सन् 1995-2000 के बीच इलाहाबाद के मेयर के पद पर कार्यरत थी। उन्हें दक्षिण एशिया में सर्वाधिक प्रतिष्ठित महिला होने का संयुक्त राष्ट्र एक्सीलेंस पुरस्कार भी मिल चुका है। जून 2001 में थाईलैंड में संयुक्त राष्ट्र ने दक्षिण एशिया में सबसे प्रतिष्ठित महिला महापौर के रूप में सम्मानित किया था।

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