उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था की बदहाल स्थिति का हवाला देकर अपनी राजनीतिक जड़ सींचने में जुटी कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने शनिवार रात हैवानियत की भेंट चढ़ पीड़ित के परिजनों से मुलाकात की और उनकी न्याय की लड़ाई में साथ रहने का भरोसा दिलाया।
हाथरस की यात्रा पर दूसरी बार निकले राहुल प्रियंका खुद कार ड्राइव कर रहे थे जबकि उनके साथ कार्यकर्ताओं का लंबा काफिला था। कांग्रेस नेताओं के हाथरस प्रस्थान की सूचना पर पुलिस प्रशासन ने यूपी बार्डर पर भारी पुलिस बल लगा रखा था। कार्यकर्ताओं की नारेबाजी के बीच अधिकारियों ने श्री राहुल गांधी और श्रीमती प्रियंका वाड्रा को हाथरस जाने की इजाजत दे दी लेकिन वे अन्य नेताओं को साथ ले जाने की जिद पर अड़ गये। इससे कुछ देर के लिये अफरातफरी का माहौल व्याप्त हो गया। आखिरकार कुल पांच नेताओं को हाथरस जाने की अनुमति मिली जिसके बाद रणदीप सुरजेवाला, गुलाम नबी आजाद और केसी वेणुगोपाल भी राहुल प्रियंका के साथ हो लिये।
कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल के हाथरस पहुंचने से पहले गांव में मीडियाकर्मियों और ग्रामीणों का जमावडा लग चुका था। इस बीच देर शाम वे कड़ सुरक्षा व्यवस्था के बीच चंदपा क्षेत्र में पीड़ित के गांव पहुंचे। कार से उतर कर सभी नेता कुछ दूर पैदल चल कर पीडिता के दरवाजे पहुंचे। नेताओं से मुलाकात के लिये बरामदे में व्यवस्था की गयी थी लेकिन भीड ज्यादा होने के हवाला देते हुये श्री गांधी ने परिजनों को कमरे में चलने को कहा जिसके बाद कांग्रेसी नेता और परिवार कमरे में बंद हो गया।
करीब 25 मिनट परिवार के साथ बिताने के बाद कांग्रेसी नेताओं का काफिला वहां से रवाना हो गया। परिजनों ने बताया कि प्रियंका ने पीड़ित की मां को ढाढस बंधाया जबकि राहुल पिता और भाई से बात करते रहे। दोनो नेताओं ने परिजनो से पूरे घटनाक्रम को जाना और कहा कि जिलाधिकारी और अन्य अधिकारियों की बदसलूकी किये जाने की घटना को वह जोर शोर से उठायेंगे। प्रियंका ने पीड़ित की मां को बंद लिफाफे में आर्थिक मदद के वास्ते एक चेक दिया हालांकि यह पता नहीं चल सका कि उसमें रकम कितनी भरी थी।
इससे पहले एक अक्टूबर को राहुल प्रियंका ने हाथरस जाने की कोशिश की थी लेकिन पुलिस ने जिले में निषेधाज्ञा का हवाला देकर उन्हे ग्रेटर नोएडा में यमुना एक्सप्रेस वे पर रोक लिया था जिसके बाद दोनो भाई बहन पैदल ही हाथरस के लिये निकल पड़ थे। बाद में पुलिस ने उन्हे हिरासत में लेकर ग्रेटर नोएडा के एक गेस्ट हाउस में रखा था।
कांग्रेस ने इसके विरोध में राज्य भर में धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया था। श्रीमती वाड्रा और श्री गांधी ने अलग अलग ट्वीट कर पीड़ित के परिजनो से मिलने की मंशा जाहिर की थी। आज उनके हाथरस जाने की संभावना के मद्देनजर पुलिस ने दिल्ली सीमा पर सुरक्षा व्यवस्था सख्त कर दी थी जबकि पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू को उनके घर में नजरबंद कर दिया था।
इससे पहले आज ही सूबे के पुलिस प्रमुख हितेश चंद, अवस्थी और अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश अवस्थी ने पीड़ित के परिजनो से मुलाकात की और न्याय का भरोसा दिलाया। बाद में पत्रकारों से बातचीत में दोनो अधिकारियों ने कहा कि परिजनो की शिकायत को सरकार ने गंभीरता से लिया है और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का आश्वासन दिया है।
गौरतलब है कि हाथरस के चंदपा क्षेत्र में 14 सितंबर को 19 वर्षीय दलित युवती के साथ सामूहिक बलात्कार और मारपीट की घटना हुयी थी। हमले में लड़की की रीढ़ की हड्डी टूट गयी थी। लड़की को पहले स्थानीय अस्पताल फिर अलीगढ़ के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया। हालत की गंभीरता को भांपते हुये उसे दिल्ली के सफदरगंज अस्पताल रेफर कर दिया गया जहां 29 सितंबर को उसकी मृत्यु हो गयी।
बवाल की आशंका के मद्देनजर जिला प्रशासन ने 30 सितम्बर को तड़के करीब ढाई बजे पीड़ति के शव को एक खेत में अंतिम संस्कार कर दिया। इस बारे में परिजनों के विरोध को दरकिनार कर दिया गया। इस घटना के बाद प्रदेश में राजनीतिक उबाल आ गया और सपा,बसपा और कांग्रेस समेत समूचे विपक्ष ने सरकार को घेरा। मानवाधिकार आयोग ने इस मामले में सरकार से घटना की रिपोर्ट तलब की। इससे पहले सरकार ने मामले की जांच के लिये एसआईटी का गठन किया जिसकी पहली रिपोर्ट के आधार पर हाथरस के पुलिस अधीक्षक समेत पांच पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया।