उत्तर प्रदेश में राज्यसभा चुनाव से पहले बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) में हलचल मची हुई है। पार्टी विरोधी गतिविधियों के चलते बीएसपी ने सात विधायकों को निलंबित कर दिया है। चुनाव से पहले इन विधायकों ने पार्टी के खिलाफ बगावत कर दी है। बीएसपी अध्यक्ष मायावती ने गुरुवार को विधायकों के निलंबन का ऐलान किया।
आज प्रेस कॉन्फ्रेंस कर मायावती ने कहा, एमएलसी के चुनाव में सपा के दूसरे उम्मीदवार को हराने के लिए पूरा जोर लगाएंगे। इसके लिए अगर हमें बीजेपी को वोट देना पड़ेगा तो हम देंगे। इसके साथ ही उन्होंने 1995 गेस्ट हाउस कांड का मुकदमा वापस लेने पर अफसोस जताते हुए कहा, 1995 के केस को वापस लेना हमारी बड़ी गलती थी।
उन्होंने कहा, चुनाव प्रचार के बजाय अखिलेश यादव मुकदमा वापस कराने में लगे थे, 2003 में मुलायम ने बीएसपी तोड़ी उनकी बुरी गति हुई, अब अखिलेश ने यह काम किया है, उनकी बुरी गति होगी। मायावती ने कहा कि सपा में परिवार के अंदर लड़ाई थी,जिसकी वजह से गठबंधन कामयाब नहीं हुआ। सपा से गठबंधन का हमारा फैसला गलत था।
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उन्होंने कहा, हमारी पार्टी ने लोकसभा चुनाव के दौरान सांप्रदायिक ताकतों से लड़ने के लिए सपा के साथ हाथ मिलाया था। अपने परिवार की लड़ाई के कारण, वे बसपा के साथ 'गतबंधन' से अधिक लाभ नहीं ले सके। उन्होंने हमें चुनावों के बाद जवाब देना बंद कर दिया और इसलिए, हमने उनके साथ तरीके तय करने का फैसला किया।
बीएसपी प्रमुख ने कहा कि मेरी पार्टी ने फैसला किया था कि अगर अखिलेश यादव राज्यसभा चुनाव में अपनी पत्नी डिंपल यादव को मौका दे रहे हैं, तो बसपा उनका समर्थन करने के लिए तैयार है। सतीश चंद्र मिश्रा ने सपा नेता से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने अपना फोन नहीं उठाया और राज्य के सभी ब्राह्मण समुदाय के लोगों का अपमान है।
दरअसल, पार्टी विरोधी गतिविधियों के चलते बीएसपी ने विधायक असलम राइनी ( भिनगा-श्रावस्ती), असलम अली (ढोलाना-हापुड़), मुजतबा सिद्दीकी (प्रतापपुर-इलाहाबाद), हाकिम लाल बिंद (हांडिया- प्रयागराज) , हरगोविंद भार्गव (सिधौली-सीतापुर), सुषमा पटेल( मुंगरा बादशाहपुर) और वंदना सिंह -( सगड़ी-आजमगढ़) को पार्टी से निलंबित कर दिया है।