लखनऊ : आरएसएस और भाजपा संविधान को बदलना चाहती थी। अभी तक उनके पास बहुमत नहीं था, इसलिये यह चुप थे। अब 19 राज्यों में सरकार है और अब ऐसा करके जाति और समाज के नाम पर समाज को बांट रहे हैं। केंद्र सरकार को चाहिये कि वह सुप्रीम कोर्ट के आदेश को संसद में रद्द करने का काम करना चाहिये। केंद्र सरकार की अपील सिर्फ दिखावा है। सुप्रीम कोर्ट ने समय देकर गुस्से को कम कर रही है। अब वह कोई फैसला नहीं देगी। यह बातें डॉ भीमराव अंबेडकर के पौत्र प्रकाश राव अम्बेडकर ने लक्ष्मण मेला मैदान में आयोजित संविधान बचाओ रैली में संबोधन के दौरान कहीं। प्रकाश राव अंबेडकर ने कहा कि प्रदेश में बीजेपी की सरकार बनने के बाद लगातार अत्याचार बढ़ रहा है। अनुसूचित जाति और जनजाति के लोगों के खिलाफ सरकार साजिश कर रही है। उन्नाव और बलिया में महिलाओं को जिंदा जल देने के मामले में अभी भी सरकार कोई कार्यवाई नहीं कर सकी है।
वहीं, अब एससी-एसटी एक्ट को निष्प्रभावी करना संविधान में बदलाव करने के समान है। प्रकाश अम्बेडकर ने कहा कि हम लोग संविधान की खूबियों को लोगों बता रहे हैं। इस लोकतंत्र में लोग अपनी जिंदगी गुजार नहीं सकते क्योंकि यहां लोग जातियों में आपस में बंटे हुए हैं और अपने अधिकार के लिए आपस में बंटे हुए हैं। जब तक भाईचारा बना रहेगा तबतक इस देश में अमन और शांति कायम रहेगी। इसे कायम करने के लिए मेरे हिसाब से संविधान ही उचित है। अगर ये संविधान बदल गया तो लोग जातियों और आपस में लड़ने लगेंगे। इसी को बचाने के लिए हम लोगों ने संविधान बचाओ रैली शुरू की है। उन्होंने कहा कि संविधान को हम किसी भी कीमत पर बदलने नहीं देंगे। एससी,एसटी एक्ट को निष्प्रभावी करने वाले आदेशों को तत्काल कानून बनाकर रोका जाए और भारत बंद के दौरान गिरफ्तार किए गए बहुजन समाज के निर्दोष लोगों को तत्काल रिहा किया जाए।
इस दौरान अखिल भारतीय अनुसूचित जाति और जनजाति कर्मचारी कल्याण संघ समेत हजारों की संख्या में लोग मौजूद रहे। गौरतलब हो कि बीती 5 अप्रैल को प्रेस क्लब में आयोजित प्रेस वार्ता को संबोधित करते अंबेडकर विद्वत मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रकाश राव अंबेडकर ने जमकर भाजपा पर निशाना साधा था। उन्होंने कहा था कि भाजपा सरकार संविधान बदलने की कोशिश कर रही है। ये सरकार की ओर से भारत में एकता और भाईचारे को खत्म करने का प्रयास है। अगर ऐसा ही हाल रहा तो भारत को सीरिया बनने से कोई नहीं रोक सकता। आजादी के बाद से कोई भी सरकार आरक्षण को पूरी तरह लागू नहीं कर पाई है। ये बहुत बड़ी विडंबना है।
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