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समाजवादी पार्टी यूपी में उपचुनाव से पहले पार्टी में कर सकती है फेरबदल

समाजवादी पार्टी (सपा) ने उत्तर प्रदेश में विधानसभा उपचुनाव से पहले अपने पार्टी संगठन को मजबूत करने के लिए एक बड़े फेरबदल की तैयारी शुरू कर दी है।

समाजवादी पार्टी (सपा) ने उत्तर प्रदेश में विधानसभा उपचुनाव से पहले अपने पार्टी संगठन को मजबूत करने के लिए एक बड़े फेरबदल की तैयारी शुरू कर दी है। पार्टी में युवाओं को अधिक प्रतिनिधित्व देने और दिग्गज नेताओं पर अधिक विश्वास करने की तैयारी कर रही है। 
पार्टी पिछड़े और दलित वर्गों के नेताओं को बड़ी जिम्मेदारियां सौंपने की तैयारी कर रही है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने पहले ही राज्य और दिल्ली की सभी पार्टी इकाइयों के साथ ही फ्रंटल संगठनों को भंग कर दिया था। पार्टी उपचुनावों से पहले संगठन को मजबूत करने की तैयारी कर रही है। 
इस बार उपचुनावों में सपा का मुकाबला बहुजन समाज पार्टी (बसपा) से भी होगा। 2018 के उपचुनाव में तीन लोकसभा सीटों और एक विधानसभा सीट पर बसपा ने सपा को समर्थन दिया था।सपा के एक वरिष्ठ नेता ने सोमवार को बताया कि “सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव उपचुनावों को बहुत गंभीरता से ले रहे हैं। उपचुनाव सपा के लिए अपनी विश्वसनीयता फिर से हासिल करने का एक मौका है। हालांकि मौजूदा समय में पार्टी के पास केवल एक रामपुर सीट है जहां उपचुनाव होना हैं। हम भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से अन्य सीटों को भी छीनना चाहते हैं।” 

मुहर्रम और गणेश चतुर्थी के मद्देनजर अखिलेश यादव ने रद्द किया रामपुर दौरा

उन्होंने कहा कि उपचुनाव में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को 13 विधानसभा क्षेत्रों में चुनाव प्रचार अभियान की निगरानी का जिम्मा सौंपा जाएगा। कुछ नेताओं को संगठनात्मक जिम्मेदारियां भी दी जा सकती हैं। पूर्व मंत्री और सपा नेता रविदास मेहरोत्रा ने स्वीकार किया कि यह पार्टी के लिए संघर्ष का समय है। उन्होंने कहा कि मौजूदा परिस्थितियों से लड़ने के लिए प्रतिबद्ध नेताओं की जरूरत है। हमें भरोसा है कि नया संगठन युवा और पुराने के बीच संतुलन बनाएगा। 
यादव समाजवादी पार्टी की खोई हुई जमीन को फिर से हासिल करने की कठिन चुनौती का सामना कर रहे हैं, क्योंकि उनके फैसलों का सिलसिला थम गया। 2017 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के साथ गठबंधन के बाद सपा को 403 सदस्यीय राज्य विधानसभा में 47 सीटे मिली थी। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में बसपा के साथ गठबंधन के बाद भी पार्टी को सिर्फ पांच सीटे मिली थी। बसपा ने चुनाव के बाद सपा के साथ अपना गठबंधन समाप्त कर दिया था। 
इस बीच, सपा प्रमुख अखिलेश यादव रामपुर पहुंचे हैं, जहां वह सोमवार को मोहम्मद आजम खान के समर्थन में पार्टी द्वारा धरना प्रदर्शन का नेतृत्व करेंगे। सपा ने योगी आदित्यनाथ सरकार द्वारा अपने नेता और पार्टी के सांसद रामपुर मोहम्मद आजम खान के खिलाफ कथित राजनीतिक प्रतिशोध के खिलाफ विरोध दर्ज कराया है। इसके अलावा में पार्टी महंगाई, बिगड़ती कानून व्यवस्था और आर्थिक मंदी के कारण बेरोजगारी के मुद्दे में सरकार को घेरने की तैयारी कर रही है।

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