उत्तर प्रदेश में इन दिनों जबरदस्त ठंड पड़ रही है और ऐसे में मथुरा के हाथी संरक्षण केंद्र में उम्रदराज हाथियों को ठंड से बचाना एक बड़ी चुनौती बना गई है। हाथी संरक्षण केन्द्र चुरमुरा, फरह में हाथियों को ठंढ़ से बचाना विशेषकर अपनी आयु पूरी कर चुकी हथिनी सूजी को बचाना एक चुनौती बन गया है। इस केंद्र के निर्देशक बैजूराज एम वी ने बताया कि सामान्यतया हाथी की आयु 60 वर्ष होती है किंतु यहां रहने वाली हाथिनी सूजी की आयु लगभग 72 वर्ष हो चुकी है। उसके खाने के दांत भी गिर चुके हैं तथा वह आर्थाइटिस जैसी बीमारी से भी ग्रसित एवं अंधी भी है। यह माना जाता है कि मोटी,खाल होने के कारण हाथी पर ठंढ का असर नही होता पर ऐसा नही होता। जिस प्रकार से बूढ़े व्यक्ति को अधिक और कम आयु के व्यक्ति को कम ठंढ लगती है ऐसा ही हाथियों के साथ होता है।
जानिए हाथीयों को कंबल में कैसे रखा जाता है?
हाथी संरक्षण केन्द्र में मौजूद 30 हाथियों में से प्रत्येक को कम्बल से ढका जाता है तथा रात में या दिन में सूरज नहीं निकलने पर फोकस करते हुए हैलोजन लाइट भी लगायी जाती है। उन्होंने बताया कि हाथियों के ओढ़ने वाले कम्बल सामान्य कम्बल से बड़े होते है। इन्हें हाथियों के साइज के अनुसार तीन चार कम्बल जोड़कर बनाया जाता है तथा कम्बल पर ओस का असर रोकने के लिए उसमें ऊपर की तरफ तारपोलीन लगाया जाता है। खाने में भी उन्हे अधिकतर ऐसे पदार्थ दिए जाते हैं जो शरीर को गर्मी दें। किंतु सूजी को अधिकतर ऐसे पदार्थ खाने में दिए जाते हैं जो शरीर को गर्म रखें और अधिक पोष्टिक भी हों। उसे हैलोजन लाइट तो लगाई ही जाती है साथ ही कंपकपाती ठंढ होने पर ब्लोवर भी लगाया जाता है। जाड़ में अलाव लगाना नित्य का नियम है। खाने में ऐसे मसालें का प्रयोग करते हैं जो गर्मी अधिक देते हों।
हाथियों की सेवा करनेवाले महावतों ने बताई बड़ी बात
उन्होंने यह भी बताया कि अब तो केन्द्र में बहुत से हाथी ऐसे हैं जो 60 वर्ष की आयु से अधिक आयु के हैं। उनका कहना था कि जाड़ में हाथियों को तिल के तेल से मालिश करते हैं। इस तेल में लहसुन, जायफल, नूरानी तेल आदि डालकर सप्ताह में एक बार प्रत्येक हाथी की मालिश की जाती है। रात में सूजी को देखने के लिए चौकीदार की ड्यूटी लगाई जाती है जो 4-5 बार जाकर सूजी की स्थिति को देखता है। सूजी के स्वास्थ्य का परीक्षण भी वर्तमान में रोज किया जा रहा है। प्रयास यह किया जाता है कि बोल पाने में असमर्थ इन जानवरों को ठंढ के कारण किसी प्रकार की परेशानी न हो। उन्होंने बताया कि वैसे संस्थान ने एक ऐसा वातावरण बना लिया है कि हाथियों की सेवा करनेवाले महावतों को अपने हाथी से इतना लगाव हो गया है कि वे स्वयं इनकी हिफाजत एक बच्चे की तरह करते हैं।