प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (PSP) अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव (Shivpal Singh Yadav) ने एक बार फिर इशारों-इशारों में अपने भाई रामगोपाल यादव (Ramgopal Yadav) और भतीजे एवं समाजवादी पार्टी (SP) अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) पर निशाना साधते हुये कहा कि महाभारत का युद्ध एक गलती के कारण हुआ था जिसने कौरवों के अस्तित्व को ही खत्म कर दिया।
भारत और भगवन कृष्ण से खुदको जोड़कर शिवपाल ने कही यह बात
अपने निर्वाचन क्षेत्र जसवंतनगर के चौबेपुर में आयोजित एक धार्मिक समारोह में सोमवार रात शिरकत करते हुये शिवपाल ने खुद को भगवान राम के छोटे भाई भरत और द्वापर में विष्णु अवतार भगवान कृष्ण के चरित्र से जोड़ते हुये कहा कि संकट से कोई बच नहीं सका है। चाहे वह साधारण शख्स हो या फिर भगवान माने जाने वाला कोई महापुरूष रहा हो। संकट तो भगवान राम पर भी आया। भगवान राम का राजतिलक होने जा रहा है लेकिन कैकई के कारण उनको 14 साल वनवास की सजा दे दी गई।
महाभारत का युद्ध रोका जा सकता था, कौरवों ने की यह बड़ी गलती
उन्होने कहा कि राम के वनवास के बाद भरत ने राम की चरण पादुका रख कर 14 साल राजपाट चलाया लेकिन किसी को भी सवाल खड़ा करने का कोई मौका नही दिया जबकि भगवान कृष्ण का जन्म जेल में हुआ था। उनके मामा कंस ने अपनी बहन देवकी और बहनोई को जेल में डाल दिया था। जहां पर श्री कृष्ण का जन्म हुआ था।
बगैर अखिलेश, रामगोपाल का नाम लिये प्रसपा अध्यक्ष ने महाभारत का जिक्र करते हुए कहा कि कौरवों और पांडवों के बीच में महाभारत का युद्ध नहीं होता लेकिन एक गलती कें कारण युद्ध के हालात बन गए। पांडवों को जुआ नहीं खेलना चाहिए था अगर जुआ खेलना ही था तो दुर्योधन से खेलना चाहिए था, शकुनी से जुआ नहीं खेलना चाहिए था।
धार्मिक समारोह में चौबेपुर के लोगों से दिल खोलकर मिले शिवपाल
पांडव ने तो केवल 5 गांव मांगे थे अगर पांडवों को 5 गांव मिल गए होते तो युद्ध होता हीं नहीं। कौरवों और पांडवों के बीच जब युद्ध हुआ तो श्री कृष्ण पांडवों के सारथी बने और युद्ध पांडवों ने जीत लिया। बेहद दार्शनिक अंदाज में शिवपाल ने कहा ‘‘ कौरव सबसे शक्तिशाली और ताकतवर थे लेकिन भगवान कृष्ण के पांडवों के सारथी बनने से महाभारत का युद्ध पांडवों ने जीत लिया।’’ करीब डेढ घंटे तक धार्मिक समारोह में रहे शिवपाल चौबेपुर गांव के लोगों से दिल खोल कर मिले और उनकी बातो को सुना।
शिवपाल पहले भी कर चुके हैं रामायण और महाभारत का जिक्र
बता दें कि यह कोई पहला मौका नहीं है जब शिवपाल सिंह यादव ने रामायण और महाभारत के पत्रों का जिक्र करते हुए अखिलेश और रामगोपाल पर निशाना साधा है। इससे पहले वह कई बार अपनी बात महाभारत रामायण के पत्रों का जिक्र कर करते रहे हैं।
हाल के विधानसभा चुनावों में शिवपाल सिंह यादव अपने भतीजे सपा प्रमुख अखिलेश यादव को उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाने के लिए लामबंद हो चुके थे। कभी 100 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने की बात करने वाले शिवपाल सिंह यादव केवल एक सीट जसवंतनगर पर ही चुनाव लड़े थे। कई दफा शिवपाल यह दर्द बयां कर चुके हैं कि उन्होने अपने लोगों की बलि इसलिए चढ़ा दी ताकि अखिलेश मुख्यमंत्री बने लेकिन सत्ता सपा गठबंधन के पास ना आकर भाजपा के खाते मे चली गई।
शिवपाल का छलका दर्द, चुनाव परिणाम से हैं हताश
विधानसभा चुनाव के नतीजों के सामने आते ही शिवपाल ने अखिलेश की राजनैतिक सोच पर सवाल उठा दिये। उन्होने कहा कि सपा की सही प्लानिंग ना होना विधानसभा चुनाव की नाकामी है। 26 मार्च को सपा बैठक मे शामिल होने के मुद्दे पर शिवपाल ने अपनी भड़ास अखिलेश पर जमकर निकाली। फिर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की तब उनके भाजपा में शामिल होने की बाते चलना शुरू हो गई। विधानसभा सत्र के दौरान मुख्यमंत्री योगी ने शिवपाल की जमकर तारीफ की तो अखिलेश ने भी यह कहते हुए मौका नहीं छोड़ा कि मेरे चाचा को अपना चाचा बनाने से भी भाजपा पीछे नहीं है यह बहुत अच्छी बात है।