उत्तर प्रदेश सरकार ने सोनभद्र में जमीनी विवाद को लेकर हुई हिंसा की रिपोर्ट के आधार पर जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक का तबादला कर विभागीय जांच की घोषणा की है। आधिकारिक सूत्रों ने रविवार को बताया कि सोनभद्र के घोरावल क्षेत्र में पिछली 17 जुलाई को हुई हिंसा के मामले में मिली जांच रिपोर्ट के आधार पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आदेश पर जिलाधिकारी अंकित अग्रवाल और पुलिस अधीक्षक सलमान पाटिल को हटा दिया गया है।
उनके स्थान पर एस रामालिंगम को जिलाधिकारी और प्रभाकर चौधरी को पुलिस अधीक्षक नियुक्त किया गया है। उन्होने बताया कि जमीनी विवाद में हुई गोलीबारी में दस लोगों की मृत्यु हो गई थी। इस सिलसिले में सरकार ने अपर मुख्य सचिव राजस्व रेणुका कुमार की अध्यक्षता में एक जांच कमेटी का गठन किया था जिसकी रिपोर्ट के आधार पर सरकार ने यह कार्यवाही की।
कमेटी के अन्य सदस्यों में प्रमुख सचिव श्रम सुरेश चंद्रा और कमिश्नर मिर्जापुर एके सिंह शामिल थे। सूत्रों ने बताया कि इस घटना में जो भी लोग जिम्मेदार है, अगर वे जीवित है तो सरकार उन पर भी कार्यवाही करेगी। उम्भा गांव में त्रमीन विवाद में सभी दोषी अफसरों और कर्मचारियों पर एफआइआर दर्ज करने के आदेश दिए गए है।
जमीनी विवाद और हिंसा से संबधित सभी मुकदमों की विवेचना के लिए एसआइटी का गठन किया गया है जिसके मुखिया उपमहानिरीक्षक जे रवींद्र गौड़ होंगे। सीएम योगी ने आज इस संबंध में अपने सरकारी आवास पांच कालीदास मार्ग पर एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित किया।
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उन्होने बताया कि वर्ष 1989 में कांग्रेस के शासनकाल में हुए जमीन संबंधी घोटाले को लेकर राबर्ट्सगंज के तहसीलदार, एसडीएम के खिलाफ खिलाफ केस दर्ज किया गया है जबकि मौजूदा एसडीएम, सीओ, सहायक परगना अधिकारी, एसओ, एसआई, सहायक निबंधक निलंबित करने के साथ इनके खिलाफ भी मुकदमा दर्ज किया गया है।
सीएम योगी ने बताया कि इस मामले को लेकर 1952 के बाद से अब तक तैनात रहे बहुत से दोषी अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई होगी। इनके खिलाफ केस भी दर्ज होगा। पूर्व अधिकारी अगर जीवित हैं तो उन पर भी मुकदमा होगा। यहां पर गलत ढंग से जमीन अपने नाम कराने वाले दो पूर्व आईएएस अफसरों की पत्नियों के खिलाफ भी मुकदमा होगा। सूत्रों ने बताया कि बिहार के कांग्रेसी नेता ने जमीन कब्जा की थी।
मीरजापुर और सोनभद्र में फर्जी सोसाइटी बनाकर एक लाख हेक्टेयर जमीन कब्जाई गई है। इनमें अधिकतर कांग्रेसी नेता है। इसकी जांच के लिए प्रमुख सचिव राजस्व रेणुका कुमार की अगुवाई में छह सदस्यीय कमेटी गठित की गई है। इनको तीन महीने में रिपोर्ट देनी होगी।