प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल यादव ने कहा है कि अगर भाजपा को उनके दल के लोकसभा चुनाव लड़ने से फायदा हो रहा है तो इसकी उत्तरदायी समाजवादी पार्टी और कांग्रेस है क्योंकि इन दलों ने गठबंधन करने का उनका प्रस्ताव ठुकरा दिया था।
बसपा प्रमुख मायावती और सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव ने मैनपुरी में शुक्रवार को रैली आयोजित की थी। शिवपाल ने इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुये इस ‘गठबंधन’ को अस्वीकार कर दिया। उन्होंने इसे ‘बेमेल’ की संज्ञा देते हुये कहा कि इसका चुनाव पर कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ेगा।
उन्होंने कहा, ”कौन गारंटी दे सकता है कि मायावती चुनाव परिणाम आने के बाद पलटी नहीं मारेंगी और अगर जरूरत पड़ी तो क्या वे भाजपा के साथ नहीं जायेंगी।” साल 2018 में शिवपाल, सपा से 26 साल बाद अलग हो गये थे। उन्होंने प्रसपा (लोहिया) की स्थापना की और उत्तर प्रदेश में 60 प्रत्याशी मैदान में उतार दिये। इसके अलावा अन्य राज्यों की 51 सीटों पर भी उम्मीदवार उतारे गए हैं। अभी टिकट देने की प्रक्रिया चल रही है।
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उन्होंने कहा, ”मैंने सपा और कांग्रेस के साथ गठबंधन बनाने का प्रयत्न किया था। लेकिन उनमें से किसी ने अपनी योजना में मुझे शामिल नहीं किया। अगर सपा मेरे साथ आती तो वे सभी 80 सीटों पर लड़ते। अब वे आधे से कम सीटों पर लड़ रहे हैं। अगर भाजपा को इसका लाभ मिलता है तो कौन उत्तरदायी होगा।”
फिरोजाबाद में उनका मुकाबला सपा नेता राम गोपाल यादव के पुत्र अक्षय यादव से है। अक्षय सपा-बसपा गठबंधन के उम्मीदवार हैं। यहां सिरसागंज में बने अस्थाई चुनाव कार्यालय में बैठे शिवपाल ने कहा कि वह कांग्रेस के पास गए थे और उनसे केवल दो सीटें – इटावा और फिरोजाबाद मांगी थीं और उन सीटों पर टिकट देने का प्रस्ताव दिया था जहां से उसे (कांग्रेस को) प्रत्याशी नहीं मिल रहे थे।
उनका दावा था कि कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा, कांग्रेस के पश्चिम उत्तर प्रदेश प्रभारी ज्योतिरादित्य सिंधिया और उप्र कांग्रेस प्रमुख राज बब्बर इस बात से सहमत थे कि उनके साथ गठबंधन करना लाभप्रद होगा। उन्होंने दावा किया, ‘‘यह नहीं हो सका, क्योंकि राम गोपाल यादव ने कांग्रेस को धमकाया कि यदि उनके दल के साथ समझौता किया गया तो सपा अमेठी और रायबरेली से प्रत्याशियों को टिकट दे देगी।’’