लखनऊ : उत्तर प्रदेश विधान परिषद में शून्यकाल के दौरान बुधवार को प्रदेश में बढ़ती लात्कार और महिला उत्पीड़न की घटनाओं के मुद्दे को लेकर सपा, बसपा और कांग्रेस सदस्य सदन की कार्यवाई बीच में ही छोड़कर बाहर निकल गए।
सपा सदस्यों ने शून्यकाल के दौरान कार्यस्थगन प्रस्ताव के जरिये यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि भाजपा के शासनकाल में पूरे प्रदेश में बलात्कार तथा अन्य प्रकार की महिला उत्पीड़न की घटनाएं बहुत बढ़ गयी हैं। सपा सदस्य राजपाल कश्यप ने कहा कि उन्नाव में बलात्कार की शिकार एक लड़की को जलाकर मार डाला गया। फतेहपुर में भी युवती को जिंदा जलाने की घटना हुई। इसके अलावा कानपुर देहात में यौन उत्पीड़न के खिलाफ कार्रवाई नहीं होने पर एक लड़की ने आत्महत्या कर ली।
कांग्रेस सदस्य दीपक सिंह ने भी प्रदेश में महिलाओं के प्रति उत्पीड़न के मुद्दे पर प्रदेश सरकार के रवैये की आलोचना की। उन्होंने बलात्कार के आरोपी पूर्व केन्द्रीय गृह राज्यमंत्री स्वामी चिन्मयानंद का मामला उठाते हुए कहा कि सरकार बलात्कारियों का संरक्षण कर रही है।
सदन में सपा और विपक्ष के नेता अहमद हसन ने कहा कि प्रदेश में महिलाओं और बच्चियों के उत्पीड़न का हाल यह है कि उनमें खौफ व्याप्त है। सबसे खराब बात यह है कि ऐसी घटनाओं को छुपाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि अब राष्ट्रीय अपराध अभिलेख ब्यूरो के आंकड़े जारी नहीं किये जा रहे हैं और सरकार को आईना दिखाने वालों पर झूठे आरोप लगाकर कार्रवाई की जा रही है। यह कहां का प्रजातंत्र है।
नेता सदन उपमुख्यमंत्री डॉक्टर दिनेश शर्मा ने कहा कि पिछली सरकारों के कार्यकाल में बलात्कारी विधायकों पर कोई कार्रवाई नहीं होती थी। हालांकि इसका मतलब यह बिल्कुल नहीं है कि मौजूदा सरकार के कार्यकाल में हो रही घटनाएं जायज हैं। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने महिलाओं के प्रति अपराधों को दर्ज करने की कई व्यवस्थाएं की हैं। वूमेन पावर लाइन के जरिये 21 लाख 35 हजार शिकायतों पर काम किया गया है। मौजूदा सरकार के कार्यकाल में अपराधों में 18 प्रतिशत की कमी आयी है।
इस पर सपा सदस्यों ने नेता सदन पर गलत आंकड़े पेश करने का आरोप लगाते हुए सदन से बहिर्गमन किया। इसके बाद बसपा सदस्य दिनेश चंद्रा ने कहा कि पार्टी प्रमुख मायावती के शासनकाल में बलात्कार के आरोपी विधायकों पर कड़ी कार्रवाई करके उदाहरण पेश किये गये। भाजपा के लोग महिला उत्पीड़न के मामलों पर उदासीनता दिखा रहे हैं। इसके साथ ही बसपा के सभी सदस्य सदन से बाहर चले गये। इसके फौरन बाद कांग्रेस सदस्य दीपक सिंह भी नेता सदन के जवाब से असंतुष्टि जताते हुए बहिर्गमन कर गये।