उत्तर प्रदेश विधानसभा में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा समाजवाद की जगह रामराज्य की अवधारणा को सराहा गया। मुख्यमंत्री के इस बयान के बाद अब समाजवादी पार्टी उन्हें नासमझ बताते हुए हमलावर है। समाजवादी पार्टी ने तुलसीदास की चौपाइयों के जरिए भगवान राम को समाजवादी विचारधारा का साबित करने की कोशिश की है।
बता दें योगी आदित्यनाथ के द्वारा दिए गए इस बयान के जवाब में सपा ने कहा कि भगवान राम सबसे बड़े समाजवादी थे और मुख्यमंत्री योगी को चाहिए कि वे रामराज्य की सही अवधारणा को समझें। योगी आदित्यनाथ की ओर से समाजवाद को खारिज करने पर सपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता आईपी सिंह ने उन्हें राम राज्य को समझने की नसीहत दी। उन्होंने कहा, “मुख्यमंत्री योगी कह रहे थे कि समाजवाद नहीं रामराज्य चाहिए।
उन्होंने अगर श्री राम और रामराज्य को समझा होता तो बता पाते की प्रभु श्री राम सबसे बड़े समाजवादी थे। उन्होंने राजगद्दी पर बैठते ही शिक्षा-स्वास्थ्य और कर की ऐसी व्यवस्था बनाई थी, जिससे अमीर और गरीब के बीच का फर्क कम हो।” सपा प्रवक्ता आईपी सिंह ने इस दौरान तुलसीदास द्वारा रचित रामचरितमानस की पंक्तियों के जरिए अपनी बात को सिद्ध करने की कोशिश की।
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उन्होंने कहा “बरसत हरसत लोग सब करसत लखै न कोइ, तुलसी प्रजा सुभाग ते भूप भानु सो होइ।” और इसका अर्थ बताते हुए कहा, “राजा जब दे तो सबको दिखे, वसूले तो सूर्य जैसे जल सोखता है वैसे पता भी ना चले। इस प्रकार श्री राम सबसे बड़े समाजवादी थे, बाबा (योगी आदित्यनाथ) कैसे संत हैं, जिन्हें ज्ञान नहीं है?”
बता दें कि बुधवार को विधानसभा में राज्यपाल के अभिभाषण पर बहस के दौरान मुख्यमंत्री ने कहा था कि देश को समाजवाद नहीं रामराज्य की अवधारणा चाहिए। समाजवाद अप्रासंगिक और अव्यावहारिक हो चुका है।