प्रयागराज : बिजनौर में 17 दिसंबर को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में हुए हमले का स्वतः संज्ञान लेते हुए इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने प्रदेश में अदालत परिसरों की सुरक्षा मजबूत करने की योजना के बारे में अवगत कराने के लिए प्रदेश के अपर मुख्य गृह सचिव और पुलिस महानिदेशक को बुधवार को समन जारी किया।
बिजनौर में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में हुए हमले में एक आरोपी की मौत हो गई, जबकि अदालत का एक कर्मचारी घायल हो गया। अदालत ने इस मामले में सुनवाई की अगली तारीख 20 दिसंबर तय की और इन दोनों अधिकारियों को उपस्थित रहने को कहा।
मुख्य न्यायाधीश ने इस घटना का स्वतः संज्ञान लेते हुए न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल और न्यायमूर्ति सुनीत कुमार की एक विशेष पीठ गठित की जिसने यह आदेश पारित किया। पीठ ने कहा, ऐसा लगता है कि इस राज्य में अदालत परिसरों के भीतर कानून व्यवस्था पूरी तरह से विफल है। अति अक्षम पुलिस कर्मचारियों को अदालत परिसरों की सुरक्षा में तैनात किया जाता है। क्या सरकार अदालत की सुरक्षा को लेकर गंभीर है। क्या शीर्ष अधिकारी इन घटनाओं से अवगत हैं जो हाल के दिनों में प्रदेश की विभिन्न अदालतों में घटी हैं।
पीठ ने अपर महाधिवक्ता को कहा कि राज्य में अदालत की सुरक्षा 2008 से एक मुद्दा है, लेकिन वास्तव में इस दिशा में कुछ नहीं किया गया। अगर राज्य सरकार अदालत परिसरों में पर्याप्त सुरक्षा मुहैया नहीं करा सकती तो हम केंद्र सरकार से इसके लिए केंद्रीय सुरक्षा बलों की तैनाती के लिए कहेंगे। पीठ ने कहा, हाल ही में तीन हमलों- एक मुजफ्फरनगर में आरोपी पर हमला, दूसरा आगरा में एक महिला वकील पर हमला और अब बिजनौर में हमला यह प्रदर्शित करता है कि प्रदेश में अपराधी इतने निडर हो गए हैं कि वे अब अदालतों में घुसकर लोगों को मार रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि बिजनौर में हुए हमले में मारा गया शाहनवाज, प्रापर्टी डीलर और बसपा नेता हाजी एहसान और उसके भतीजे शादाब की हत्या के मामले में आरोपी था। हाजी एहसान और शादाब की हत्या नजीबाबाद में 28 मई को हुई थी। पुलिस ने हत्या के इस मामले में दानिश, शाहनवाज और शूटर अब्दुल जब्बार को गिरफ्तार किया था। 17 दिसंबर की दोपहर को शाहनवाज को सुनवाई के लिए तिहाड़ जेल से सीजेएम की अदालत में लाया गया था।