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40 मंजिला टॉवर्स को जमींदोज करने निर्देश में संशोधन की अपील लेकर SC पहुंचा सुपरटेक

रियल्टी कंपनी सुपरटेक लिमिटेड ने नोएडा में अपने दो 40 मंजिला टावरों को गिराने के सुप्रीम कोर्ट के निर्देश में संशोधन की अपील करते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है।

सुप्रीम कोर्ट ने हाउसिंग प्रोजेक्ट में रियल एस्टेट कंपनी सुपरटेक के नोएडा स्थित 40 मंजिला दो टॉवर्स को गिराने का फैसला सुनाया है। अब रियल एस्टेट कंपनी ने सुप्रीम कोर्ट के इस निर्देश में संसोधन की अपील करते हुए पुनः सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। इन दो टावर्स में 915 फ्लैट और दुकानें बनी हुई हैं।
सुपरटेक ने अपनी याचिका में कहा है कि वह भवन निर्माण मानकों के अनुसार टॉवर्स को आंशिक रूप से ध्वस्त कर देगी। उसने इसके साथ ही टॉवर्स के ग्राउंड फ्लोर पर स्थित सामुदायिक क्षेत्र को गिराने की भी बात कही है। सुपरटेक ने कहा कि टावर-17 (सेयेन) के दूसरे रिहायशी टॉवर्स के पास होने की वजह से वह विस्फोटक से ध्वस्त नहीं कर सकती है और उसे धीरे-धीरे तोड़ना होगा।
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याचिका में कहा गया है कि टॉवर्स के निर्माण में भारी मात्रा में स्टील और सीमेंट की खपत हुई है, इसके अलावा मानव श्रम सहित कई अन्य सामग्रियों पर करोड़ों रुपये का खर्च किया गया जो टॉवर्स को पूरी तरह से ध्वस्त करने पर कबाड़ बन जाएंगे और बेकार हो जाएंगे। 
याचिका में कहा गया, “(आदेश में) प्रस्तावित संशोधन पर्यावरण के लिए भी फायदेमंद होगा क्योंकि स्क्रैप कोई लाभकारी उपयोग नहीं होगा, उसका बस निपटान करना होगा, टॉवर्स को गिराने से पैदा होने वाले अधिकांश मलबे को केवल लैंडफिल साइट पर फेंकना होगा जहां पहले से ही काफी बोझ है। यह लैंडफिल साइट की पर्यावरण से जुड़ी मौजूदा समस्याओं को और बढ़ा देगा और इस प्रकार मौजूदा कार्बन फुटप्रिंट (ग्रीनहाउस गैसों की मात्रा) में और वृद्धि होगी।”
कंपनी ने 31 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले में संशोधन की अपील की है जिसमें न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने कहा था कि इलाहाबाद  हाई कोर्ट के 11 अप्रैल, 2014 के फैसले में किसी हस्तक्षेप की जरूरत नहीं है। हाई कोर्ट ने भी अपने फैसले में इन टॉवर्स को गिराने के निर्देश दिए थे। 
सुपरटेक पर टॉवर्स निर्माण में नोएडा अथॉरिटी के साथ साठगांठ का आरोप 
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि सुपरटेक के 915 फ्लैट और दुकानों वाले 40 मंजिला दो टॉवर्स का निर्माण नोएडा अथॉरिटी के साथ साठगांठ कर किया गया है और हाई कोर्ट का यह विचार सही था। पीठ ने कहा था कि टॉवर्स को नोएडा अथॉरिटी और विशेषज्ञ एजेंसी की निगरानी में तीन माह के भीतर गिराया जाए और इसका पूरा खर्च सुपरटेक लिमिटेड को उठाना होगा। 
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा था कि घर खरीदारों का पूरा पैसा बुकिंग के समय से लेकर 12 प्रतिशत ब्याज के साथ लौटाया जाए। साथ ही रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन को दो टॉवर्स के निर्माण से हुई परेशानी के लिए दो करोड़ रुपये का भुगतान किया जाए।

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