सुप्रीम कोर्ट ने 2021 में उत्तरप्रदेश के लखीमपुर खीरी में किसान आंदोलन के दौरान हिंसा घटना करने को लेकर केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के पुत्र आशीष मिश्रा की जमानत याचिका पर सुनवाई करने के बाद बृहस्पतिवार को अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। बता दें कि किसान आंदोलन के समय यूपी के लखीमपुर खीरी में राज्य मंत्री अजय मिश्रा के बेटे पर किसानों के ऊपर गाड़ी चलाने के आरोप में लगे थे। जिसके बाद मुकदमा दर्ज कर उनके बेटे को गिरफ्तार कर लिया गया था।
वकील ने कोर्ट के समक्ष क्या रखा पक्ष जानें ?
न्यायमूर्ति सूर्य कांत और न्यायमूर्ति जे। के। महेश्वरी की पीठ ने संबंधित पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कहा कि मामले की सुनवाई पूरी होने में पांच साल लग सकते हैं। इस हालात में अभियुक्तों को अनिश्चितकाल के लिए कैद नहीं किया जा सकता है।
पीड़ित किसानों के वकील ने क्या दलीलें रखी?
पीठ के समक्ष उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से एडिशनल एडवोकेट जनरल गरिमा प्रसाद, याचिकाकर्ता आशीष मिश्रा का पक्ष वरिष्ठ मुकुल रोहतगी, जबकि पीड़ित किसानों में से एक शिकायतकर्ता की ओर से वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे ने दलीलें दीं। सुश्री प्रसाद और श्री दवे ने जमानत याचिका का पुरजोर विरोध किया। सुश्री प्रसाद ने कहा कि यह एक गंभीर आपराधिक मामला है। इस मामले में जमानत दिए जाने से गलत संदेश जाएगा।
पीठ की टिप्पणी में क्या बोला गया?
पीठ की इस टिप्पणी पर कि अभियुक्तों को अनिश्चितकाल के लिए कैद नहीं किया जा सकता है, दवे ने दलील देते हुए कहा कि वर्ष 2020 के दिल्ली दंगों के सिलसिले में जेल में बंद लोगों सहित सभी आरोपियों पर यह समान रूप से लागू होना चाहिए।
लखीमपुर खीरी घटना में क्या हुआ था जानें?
केंद, सरकार के नए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ (जिसे सरकार ने बाद में वापस ले लिया था) किसान आंदोलन के दौरान लखीमपुर खीरी में उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के दौरे के दौरान तीन अक्टूबर 2021 को हिंसक घटनाओं में आठ लोग मारे गए थे। इस मामले में आशीष पर आरोप है कि उसने अपनी गाड़ी से प्रदर्शनकारी कई किसानों को कुचल दिया था। हिंसक घटनाओं में मरने वालों में एक स्थानीय पत्रकार, एक कार ड्राइवर और भारतीय जनता पार्टी के दो कार्यकर्ता शामिल हैं।