सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को राज्य विधानसभा की सदस्यता के प्रति अयोग्य ठहराए जाने के खिलाफ समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान की याचिका पर उत्तर प्रदेश सरकार और भारतीय निर्वाचन आयोग से जवाब तलब किया।समाजवादी पार्टी (SP) के नेता को भड़काऊ भाषण देने के मामले में दोषी ठहराने और उन्हें 3 साल जेल की सजा सुनाए जाने के बाद उन्हें सदन की सदस्यता के प्रति अयोग्य ठहराया गया है।
जस्टिस डी.वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस हिमा कोहली की खंडपीठ ने उत्तर प्रदेश की ओर से पेश अतिरिक्त महाधिवक्ता गरिमा प्रसाद को खान की याचिका पर अपना जवाब दाखिल करने के लिए कहा। पीठ ने प्रसाद से उनकी याचिका को निर्वाचन आयोग के स्थायी अधिवक्ता तक भी पहुंचाने के लिए कहा।कोर्ट ने प्रसाद से कहा, ‘‘उन्हें अयोग्य ठहराने की क्या जल्दी थी? आपको कम से कम उन्हें कुछ मोहलत देनी चाहिए थी।’’इसके जवाब में प्रसाद ने कहा कि अयोग्य ठहराना शीर्ष न्यायालय के उस निर्देश के अनुरूप है जिसे उसने अपने एक फैसले में दिया था।
भाजपा विधायक विक्रम सैनी को लेकर घेरा
खान की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता पी चिदंबरम ने कहा कि मुजफ्फरनगर जिले की खतौली विधानसभा से भारतीय जनता पार्टी (BJP) विधायक विक्रम सैनी को भी 11 अक्टूबर को दोषी ठहराया गया था और दो वर्ष की सजा दी गई थी, लेकिन उनकी अयोग्यता को लेकर कोई निर्णय नहीं किया गया।चिदंबरम ने कहा कि इस मामले में तात्कालिकता यह है कि रामपुर सदर सीट पर उपचुनाव के ऐलान को लेकर भारतीय निर्वाचन आयोग 10 नवंबर को गजट अधिसूचना जारी करने जा रहा है।उन्होंने कहा कि सत्र न्यायालय के न्यायाधीश कुछ दिनों के लिए अवकाश पर हैं और इलाहाबाद हाई कोर्ट बंद है, इसलिए खान खुद को दोषी ठहराये जाने और सजा के खिलाफ वहां नहीं जा सके।
विधानसभा सचिवालय ने अयोग्य ठहराने का किया था ऐलान
पीठ ने प्रसाद से पूछा कि खतौली विधानसभा सीट के मामले में कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई।कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 13 नवंबर की तारीख तय की और प्रसाद से कहा कि वह निर्देश प्राप्त कर अपना जवाब दाखिल करें।गत 27 अक्टूबर को खान को भड़काऊ भाषण मामले में दोषी ठहराया गया था और रामपुर अदालत ने उन्हें तीन साल जेल की सजा सुनाई थी।रामपुर स्थित एमपी-एमएलए (सांसद-विधायक) कोर्ट ने वर्ष 2019 के मामले में विधायक को जमानत भी दे दी।गत 28 अक्टूबर को उत्तर प्रदेश विधानसभा सचिवालय ने खान को सदन की सदस्यता के लिए अयोग्य ठहराने का ऐलान किया था।उप्र विधानसभा के प्रमुख सचिव ने कहा था कि विधानसभा सचिवालय ने रामपुर सदर सीट को रिक्त घोषित कर दिया है।