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भाजपा के दबाव में सीट बदलने को मजबूर हुये स्वामी प्रसाद मौर्य, अब पड़रौना नही फाजिल नगर से लड़ेंगे चुनाव

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार में पांच साल मंत्री रहने के बाद चुनाव के समय दलित पिछड़ की उपेक्षा का आरोप लगाकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से किनारा कर समाजवादी पार्टी (सपा) में शामिल हुये स्वामी प्रसाद मौर्य को अपनी परंपरागत सीट पडरौना छोड़ कर फाजिलनगर से किस्मत आजमाने के निहितार्थ निकाले जाने लगे हैं।

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार में पांच साल मंत्री रहने के बाद चुनाव के समय दलित पिछड़ की उपेक्षा का आरोप लगाकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से किनारा कर समाजवादी पार्टी (सपा) में शामिल हुये स्वामी प्रसाद मौर्य को अपनी परंपरागत सीट पडरौना छोड़ कर फाजिलनगर से किस्मत आजमाने के निहितार्थ निकाले जाने लगे हैं।
स्वामी प्रसाद मौर्य ने  पड़रौना निवासियों को ट्वीट कर दी बधाई 
फाजिलनगर से टिकट का ऐलान होने के बाद उन्होंने एक  ट्वीट के जरिए पडरौना के लोगों से विदा ली। उन्होने अपने अधिकारिक टिवटरहैंडल पर लिखा- ‘‘पडरौना वासियों के प्यार, स्नेह और आशीर्वाद के लिए बहुत-बहुत बधाई। आप सब का सम्मान एवं स्थान सदैव मेरे दिल में था, दिल में है, दिल में रहेगा। 
पूर्व केंद्रिय मंत्री के भाजपा में शामिल होने के बाद बदला पड़रौना का माहौल 
 स्वामी प्रसाद मौर्य के पडरौना से बदलकर फाजिलनगर सीट पर जाने की वजह पूर्व केंद्रीय मंत्री आरपीएन सिंह के कांग्रेस छोड़ भाजपा ज्वाइन करने को बताया जा रहा है। आरपीएन सिंह पडरौना के राजपरिवार से आते हैं। पडरौना सीट पर उनका काफी प्रभाव बताया जाता है। आरपीएन सिंह इस सीट से 1996, 2002 और 2007 में विधायक रहे हैं। कुर्मी-सैंथवार जाति से आने वाले कुंवर रतनजीत प्रताप नारायण सिंह को राजा साहेब के नाम से भी यहां पुकारा जाता है।
भाजपा  उम्मीदवार के ऐलान से पहले स्वामी ने बदला क्षेत्र  
पडरौना में कुर्मी वोटों की संख्या काफी है और अपने इलाके के सजातीय वोटों पर उनकी खासी पकड़ मानी जाती है। अटकलें थीं कि पडरौना से बीजेपी आरपीएन सिंह को टिकट देकर स्वामी प्रसाद मौर्य की मुश्किलें बढ़ सकती है। पडरौना से बीजेपी उम्मीदवार का ऐलान होने से पहले ही स्वामी प्रसाद मौर्य के सीट बदल लेने के बाद यह देखना दिलचस्प होगा कि बीजेपी आरपीएन को विधानसभा चुनाव लड़वाती है या उन्हें राज्यसभा भेजा जाएगा।
उधर, फाजिलनगर विधानसभा सीट पर चनऊ और कुशवाहा बहुल बताई जाती है। कहा जा रहा है कि यह क्षेत्र जातिगत समीकरणों के लिहाज से स्वामी प्रसाद मौर्या के काफी अनुकूल है। बताया जा रहा है कि स्वामी प्रसाद मौर्या के फाजिलनगर से चुनाव लड़ने का ऐलान भले बुधवार को हुआ लेकिन उनके समर्थकों ने फाजिलनगर सीट पर तैयारी उसी दिन से शुरू कर दी थी जिस दिन आरपीएन सिंह ने कांग्रेस का दामन छोड़ भाजपा का दामन थामा था। इसकी सबसे बड़ वजह जातिगत समीकरण बताए जा रहे थे।
फाजिलनगर में भी स्वामी पर भारी पड़ सकती हैं  भाजपा 
मौर्या के फाजिलनगर से चुनाव लड़ने के ऐलान के बाद अब बीजेपी उन्हें इस सीट पर घेरने की रणनीति बना रही है। बीजेपी से जुड़ लोगों का कहना है कि इस सीट पर भी स्वामी प्रसाद मौर्य की लड़ई आसान नहीं होगी। पिछले दो बार से यहां बीजेपी का दबदबा रहा है। फाजिलनगर विधानसभा से सीट से बीजेपी ने पुराने नेता और 2012 और 17 में जीते गंगा सिंह कुशवाहा के बेटे सुरेन्द, सिंह कुशवाहा को टिकट दिया है।
गंगा सिंह कुशवाहा जनसंघ के जमाने से ही आरएसएस के करीब रहे। यह विधानसभा कुशवाहा बाहुल्य के रूप में जाने जानी जाती है। परिसीमन के बाद 2012 के विधानसभा सभा चुनाव में भाजपा के टिकट पर गंगासिंह कुशवाहा सपा के लहर के बावजूद लगभग पांच हजार से चुनाव जीतकर विधानसभा सभा पहुंचे। इसके बाद से यह 2017 में सपा के प्रत्याशी को लगभग 42 हजार मतों से हराकर दोबारा विधानसभा पंहुचे।
 
 

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