तमिलनाडु विधानसभा के अध्यक्ष एम अप्पावु ने दिल्ली में पीठासीन अधिकारियों की समिति की एक बैठक को सोमवार को संबोधित करते हुए कहा कि अक्सर राष्ट्रीय और स्थानीय मीडिया में बात होती है कि संघ विधेयकों के मामलों में राज्यों की इच्छाओं के खिलाफ जबरदस्ती दबाव बनाता है।अप्पावु ने कहा, ”संघ और राज्यों के बीच कोई सामंजस्य नहीं होने पर टकराव की संभावना होती है विशेष तौर पर तब जबकि संघ बिना सहमति या परामर्श के राज्य विधानमंडल के विधायी क्षेत्र का उल्लंघन करता है या विधेयकों/प्रस्तावों के जरिये राज्य विधानमंडल द्वारा व्य्क्त की गई सामूहिक राय की अवहेलना करता है।
राज्यपाल को निष्पक्ष रूप से कार्य करना चाहिए- एम अप्पावु
एम अप्पावु ने केंद्र और राज्यों के बीच बेहतर संबंधों की जरुरत पर बल देते हुए कहा कि किसी राज्य के राज्यपाल को संविधान के अनुसार निष्पक्ष रूप से कार्य करना चाहिए। तमिलनाडु विधानसभा अध्यक्ष ने कहा, ”राज्यपाल को संविधान के संदर्भ में राज्य के प्रमुख के रूप में निष्पक्ष रूप से कार्य करना चाहिए। विधानमंडल अपने राज्य के अधिकारों की रक्षा के लिए कितनी सीमा तक लड़ता है, इसे सर्वश्रेष्ठ विधानमंडल के चयन के लिए एक मानदंड के रूप में भी लिया जा सकता है।”गौरतलब है कि तमिलनाडु में सत्तारूढ़ द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) ने मार्च में केंद्र से राज्यपाल आर एन रवि को वापस बुलाने का आग्रह किया था।राज्य सरकार और राज्यपाल के बीच नीट परीक्षा मामले को लेकर कई महीनों से गतिरोध बना हुआ है।