लखनऊ : उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने राज्य विधान मण्डल के दोनों सदनों से पारित उत्तर प्रदेश सहकारी समिति (संशोधन) विधेयक 2017 पर अपनी मंजूरी देते हुए सहमति प्रदान कर दी है। राजभवन के प्रवक्ता अंजुम नकवी ने बताया कि उत्तर प्रदेश सहकारी समिति (संशोधन) विधेयक 2017 द्वारा पूर्व में अधिनियमित उत्तर प्रदेश सहकारी समिति विधेयक 1965 की धारा 29 एवं 31 सहित अन्य धाराओं में कतिपय संशोधन किए गए हैं। धारा 29 में संशोधन कर व्यवस्था की गई है कि सहकारी समितियों की प्रबंध समिति के सदस्य कार्यकाल के अवसान के पूर्व यदि निर्वाचित नहीं किए जाते हैं या निर्वाचित नहीं किए जा सके, तो ऐसी प्रबंध समिति का अस्तित्व अपनी अवधि के अवसान के पश्चात समाप्त हो जाएगा।
सहकारी समितियों के प्रबंधन के लिए निबन्धक द्वारा एक अंतरिम प्रबंध समिति नियुक्त की जाएगी, जो अपने गठन के छह माह अथवा प्रबंध समिति के निर्वाचन के बाद समाप्त हो जाएगी। अंतरिम प्रबंध समिति समय-समय पर निबंधक द्वारा दिए गए निर्देशों के अधीन रहते हुए प्रबंध समिति की शक्तियों का प्रयोग करेगी और कृत्यों का निष्पादन करेगी। धारा 31 में संशोधन कर समिति के कर्मचारियों की शक्तियां, कर्तव्य और दायित्वों जिसमें निलम्बन, स्थानान्तरण और अनुशासनात्मक कार्यवाही संस्थित करने से संबंधित उपबंधों को जोड़ा गया है। बता दें कि राज्यपाल ने पूर्व में 7 दिसम्बर 2017 एवं 25 जनवरी 2018 को उत्तर प्रदेश सहकारी समिति (संशोधन) अध्यादेश 2017 पर अपनी सहमति प्रदान की थी। इस सम्बंध में विधेयक विधान मण्डल से पारित होकर अधिनियमित हुआ है।
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