प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में कोरोना संक्रमण के बढ़ रहे मामलों के बीच बुधवार को डाक्टरों ने डिप्टी कलेक्टर पर अनुचित दवाब बनाने का आरोप लगाते हुये सामूहिक इस्तीफा दिया।
जिले के शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित सभी प्राथमिक और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों (पीएचसी और सीएचसी) के प्रभारियों ने इस्तीफा देते हुये आरोप लगाया है कि डिप्टी कलेक्टर अनावश्यक दबाव बनाकर कार्य करवा रहे हैं।
उन्होने कहा कि कोरोना के नोडल अधिकारी डिप्टी कलेक्टर ने नौ अगस्त को एक पत्र लिखा था, जिसमें उन्होने अब तक किए गए कार्यों को अपर्याप्त बताया था। डिप्टी कलेक्टर ने अनावश्यक दबाव बनाते हुए सभी प्रभारियों को दोषी ठहराया और लक्ष्य पूरा न होने को आपराधिक कृत्य बताते हुए मुकदमा दर्ज कराने की धमकी दी।
मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ वीबी सिंह को सौंपे इस्तीफे में पीएचसी और सीएचसी के प्रभारियों ने आरोप लगाया कि कोरोना के खिलाफ लड़ाई में स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन में सामंजस्य नहीं है। चिकित्साधिकारियों का आरोप है कि अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी (डिप्टी सीएमओ) डॉक्टर जंग बहादुर को बर्खास्त करने की धमकी दी गई थी। आज उनकी मौत हो गई। कोरोना के कारण हुई डॉक्टर जंग बहादुर की मौत को लेकर भी सवाल उठाया गया है कि उनकी मौत किन परिस्थितियों में हुई और इसके लिए कौन जिम्मेदार होगा।
गौरतलब है कि वाराणसी के डिप्टी सीएमओ डॉक्टर जंग बहादुर की कोरोना संक्रमण के उपचार के दौरान बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (बीएचयू) के सर सुंदरलाल अस्पताल में मौत हो गई थी। उन्हें कोरोना संक्रमण की पुष्टि के बाद उपचार के लिए आईसीयू में भर्ती कराया गया था।