आगरा स्थित ताजमहल के बंद पड़े 22 कमरों को खोलने को लेकर इलाहाबाद हाई कोर्ट में सुनवाई जारी है, करवाई के दौरान हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता को फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा कि जनहित याचिका (पीआईएल) व्यवस्था का गलत इस्तेमाल न करें, कल आप आएंगे और कहेंगे कि हमें माननीय जज के चेंबर में जाने की अनुमति चाहिए तो हम आपको उनके चेंबर में जाने देंगे? बता दें कि ताज महल के 22 कमरों के मामले में जस्टिस डीके उपाध्याय और जस्टिस सुभाष विद्यार्थी की बेंच सुनवाई कर रही है।
हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता को लगाई फटकार
कोर्ट ने याचिकाकर्ता से पूछा “क्या आप मानते हैं ताज महल को मुगल बादशाह शाहजहां ने नहीं बनवाया है? क्या हम यहां कोई फैसला सुनाने आए हैं? जैसे कि इसे किसने बनवाया या ताजमहल की उम्र क्या है? कोर्ट ने कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि आपको जिस मुद्दे पर पूरी जानकारी ना हो तब उस टॉपिक पर रिसर्च कीजिए, जाइए एमए कीजिए, पीएचडी कीजिए, उन्होंने कहा कि अगर कोई आपको रिसर्च ना करने दे तो हमारे पास आइए! कोर्ट ने पूछा अपने इस मामले पर किस्से जानकारी मांगी थी? हालांकि ताज महल के 22 कमरों को लेकर कोर्ट ने सुनवाई से इंकार नहीं किया है और ना ही करवाई को टाला है।
याचिकाकर्ता ने बंद कमरों में जाने की मांगी अनुमति
वहीं हाई कोर्ट के सवालों पर याचिकाकर्ता ने जवाब देते हुए कहा कि हमने अथॉरिटी से जानकारी मांगी, कोर्ट ने कहा कि अगर उन्होंने कहा है कि सुरक्षा कारणों से कमरों को बंद किया गया है तो यह जानकारी है, अगर आप इससे संतुष्ट नहीं हैं तो इसे चुनौती दीजिये। याचिकाकर्ता ने कोर्ट में कहा कि कृपया मुझे ताजमहल के बंद कमरों में जाने की अनुमति दे दें, इसपर कोर्ट ने फटकार लगते हुए कहा कि कल आप आकर हमें माननीय जजों के चैंबर में जाने के लिए कहेंगे? कृपया जनहित याचिका प्रणाली का मजाक न बनाएं, यह याचिका कई दिनों से मीडिया में घूम रही है और अब आप समय मांग रहे हैं?