ताजमहल में बंद 22 कमरों पर जारी विवाद के बीच भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने इन कमरों के अंदर किए गए मरम्मत कार्य की तस्वीरें जारी करके पूरे मामले को नए दिलचस्प मोड़ पर लेकर खड़ा कर दिया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक एएसआई ने यह तस्वीरें न्यूजलेटर के रूप में अपनी वेबसाइट पर जारी की हैं और कोई भी उनकी वेबसाइट पर जाकर इन तस्वीरों को आसानी से देख सकता है।
बता दें कि एएसआई ने यह तस्वीरें इसलिए सार्वजनिक की है क्योंकि देश में इन 22 को लेकर छिड़ा विवाद बढ़ रहा था और सांप्रदायिक रूप ले सकता था। इसी कड़ी में गलत या फेक न्यूज़ के प्रसार को रोकने के लिए इन तस्वीरों को सार्वजनिक डोमेन में साझा किया गया है।
इन कमरों को खोलने के लिए इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता डॉ. रजनीश कुमार द्वारा जमकर फटकार लगते हुए दायर जनहित याचिका को खारिज कर दिया गया था। वहीं अगर बात करें इन तस्वीरों में की तो बंद पड़े 22 कमरों में प्लास्टर और चूने की पैनिंग सहित मरम्मत का काम दिखाया गया है। एएसआई सूत्रों ने पुष्टि करते हुए कहा कि इन कमरों में मरम्मत के काम पर 6 लाख रूपए का खर्चा किया गया था।
बता दें कि हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति डीके उपाध्याय और न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी की खंडपीठ ने याचिका पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि अदालत लापरवाही भरे तरीके से दायर की गई याचिका पर भारत के संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत आदेश पारित नहीं कर सकती। खंडपीठ ने बिना कानूनी प्रावधानों के याचिका दायर करने के लिए याचिकाकर्ता के वकील रुद्र विक्रम सिंह की खिंचाई भी की।
खंडपीठ ने उनसे यह भी कहा कि याचिकाकर्ता यह नहीं बता सके कि उनके किस कानूनी या संवैधानिक अधिकार का उल्लंघन हुआ है। जब याचिकाकर्ता के वकील ने कुछ इतिहासकारों के हवाले से ताजमहल के इतिहास के बारे में अपनी बात कहनी शुरू की तो पीठ ने कहा था कि क्या हम ताजमहल की आयु निर्धारित करने के लिए बैठे हैं?