उत्तर प्रदेश में हमीरपुर जिले के सुमेरपुर क्षेत्र के कुन्डौरा गांव में होली के दिन सिर्फ महिलाएं गांव में भ्रमण कर होली खेलकर फांग गायन करती है जबकि पुरुष और बच्चे खेत खलिहान में रहेगे अथवा घर से बाहर नहीं निकलेगे।
कुन्डौरा की अनूठी होली की चर्चा न/न केवल बुन्देलखंड में है बल्कि देश में इसकी चर्चा की जाती है।
ग्रामीणों के अनुसार पांच दशक पहले क्षेत्र के दुर्दांत डकैत मेम्बर सिंह ने गांव के ही रसपाल की गांव के बाहर मंदिर के पास हत्या कर दी थी। तब से गांव में कई सालों तक होली नहीं मनाई गई। इसके बाद गांव की सभी महिलाएं साहस जुटाकर होली का पर्व धूमधाम से मनाने के साथ गांव में भ्रमण कर बुन्देली फांग गायन भी करने लगी तब से उस समय पुरुष शर्म की वजह खेत खलिहान में चले गये थे तब से यह परंपरा चली आ रही है। होली के दिन जब रंग खेला जायेगा तब उसदिन गांव में कोई भी पुरुष नहीं रहेगा या तो वह खेत में पूरा समय वहीं रहेगा या वह घर में तो बाहर नहीं निकलेगा।
महिलाओं की टोली का स्वागत केवल महिलाएं ही करती है। इस फांग गायन मे बुजुर्ग महिलाएं बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेती है। गांव के रामप्रसाद ने बताया कि कुछ दिन तक ग्रामीणों को बड़ अजीब महसूस हुआ था लेकिन धीरे धीरे परम्परका का निर्वाह बहुत ही अच्छे ढंग से किया जाता है। महिलाए होली का पर्व मनाने के लिये कई दिन पहले से तैयारी शुरु कर देती है।
ग्राम प्रधान अवधेश यादव ने बताया कि होली का यह अनूठा पर्व बड़ ही उल्लासपूर्वक मनाया जाता है। होली का रंग ज्ञारह मार्च को मनाया जायेगा दस तारीख को यानी कल केवल पुरुष होली का पर्व मनायेगे। इसी प्रकार बगल के गांव विदोखर में होली का पर्व दस दिनों तक मनाया जाता है। दस धार्मिक स्थलों पर होली एक-एक दिन तक दस दिन तक रंग व फाग का गायन किया जाता है। इस में आसपास के गांव के लोग भी हिस्सा लेते है।