दिल्ली पुलिस के कर्मी होने का दावा करने वाले दो लोगों ने बिना किसी तलाशी वारंट के महाराष्ट्र के बीड में 12 फरवरी को ‘‘टूलकिट’’ मामले में संदिग्ध, पर्यावरण कार्यकर्ता शांतनु मुलुक के आवास से कंप्यूटर की एक हार्ड डिस्क और अन्य सामग्री जब्त कर लीं। शांतनु के पिता शिवलाल मुलुक ने स्थानीय पुलिस को इस बारे में बताया है।
बीड के पुलिस अधीक्षक राजा रामास्वामी ने बताया कि शिवलाल मुलुक ने मंगलवार को पुलिस को इस संबंध में एक अभ्यावेदन दिया है। रामास्वामी ने बुधवार को बताया, हमें कल अभ्यावेदन मिला है। हम जांच करेंगे और जरूरी कदम उठाएंगे।
बॉम्बे हाई कोर्ट ने मंगलवार को शांतनु मुलुक को 10 दिनों के लिए अग्रिम जमानत दे दी थी। एक अधिकारी ने बताया कि शिवलाल मुलुक ने ‘‘जिम्मेदार नागरिक’’ के तौर पर बीड पुलिस को यह अभ्यावेदन दिया और पुलिस अधीक्षक से उनके आवास की ‘‘तलाशी’’ के संबंध में उचित कदम उठाने का अनुरोध किया।
आवेदन में कहा गया है कि दो लोग 12 फरवरी को सुबह साढ़े पांच बजे बीड के चाणक्यपुरी इलाके में मुलुक के घर पहुंचे और उन्होंने अपने पहचान पत्र दिखाकर खुद को दिल्ली पुलिस का अधिकारी बताया। दोनों ने मुलुक के परिवार को बताया कि दिल्ली पुलिस शांतनु के बारे में जानना चाहती है और कहा कि शांतनु ने राजद्रोह किया तथा वह ‘‘खालिस्तान समर्थक लोगों’’ के संपर्क में थे।
आवेदन में कहा गया है कि दोनों कर्मियों ने आवास के सभी कमरों की तलाशी ली और शांतनु के कमरे से कंप्यूटर की एक हार्ड डिस्क, पर्यावरण संबंधी पोस्टर, एक किताब और मोबाइल फोन का कवर ले गए। शिवलाल मुलुक के मुताबिक पुलिस अधिकारियों ने कोई तलाशी वारंट नहीं दिखाया, ना ही इन सामानों को ले जाने के पहले परिवार से अनुमति दी।
पुलिस अधिकारियों ने जब्त सामग्री का पंचनामा भी तैयार नहीं किया।
दिल्ली पुलिस के मुताबिक, शांतनु मुलुक और मुंबई की वकील निकिता जैकब बेंगलुरु की कार्यकर्ता दिशा रवि के साथ ‘‘टूलकिट’’ दस्तावेज तैयार करने में शामिल थे और वे ‘‘खालिस्तान समर्थक तत्वों’’ के संपर्क में थे।