भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने सोमवार को केंद्रीय राज्य मंत्री अजय मिश्रा के बेटे और लखीमपुर खीरी हिंसा मामले के मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा की जमानत रद्द करने की मांग वाली याचिका पर आदेश सुरक्षित रख लिया है। उत्तर प्रदेश सरकार के वकील महेश जेठमलानी ने माना यह गंभीर अपराध है। साथ ही उन्होंने अपील के खिलाफ तर्क देते हुए कहा, “इस स्तर पर मिनी-ट्रायल नहीं हो सकता है। जो हुआ उसे बयां करने के लिए शब्द पर्याप्त नहीं हैं… जहां तक सबूतों से छेड़छाड़ की बात है, हमने सुरक्षा मुहैया कराई है। और जहां तक बात रही आशीष मिश्रा के भागने की तो ऐसा नहीं होगा।”
जमानत पर SC ने फैसला रखा सुरक्षित
याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने आग्रह किया कि आशीष मिश्रा को जमानत देने वाले इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को रद्द किया जाना चाहिए। इस महीने की शुरुआत में एक गवाह पर कथित हमले की घटना का जिक्र करते हुए वकील ने मामले में प्राथमिकी पढ़ी, “अब भाजपा सत्ता में है देख तेरा क्या हाल होगा (अब जब भाजपा सत्ता में है, तो देखें कि क्या होता है)” और वकील ने पूछा, “क्या यह गंभीर मामला नहीं है?” पिछले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार से जवाब मांगा था। अदालत ने कहा कि निगरानी न्यायाधीश ने मामले में आशीष मिश्रा को इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा दी गई जमानत को रद्द करने के लिए राज्य सरकार को पत्र लिखा था।
गवाह को मिली थी धमकी, मृत किसानों के परिजनों ने जमानत का किया विरोध
बता दें कि केंद्रीय मंत्री के बेटे आशीष मिश्रा को इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने 10 फरवरी को जमानत दे दी थी। कुछ पीड़ितों के परिजनों ने बाद में जमानत रद्द करने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। उन्होंने दावा किया कि आशीष की रिहाई के बाद, मामले के एक गवाह पर 10 मार्च को हमला किया गया था और हमलावरों ने उसे कथित तौर पर यह कहते हुए धमकी दी थी, “आशीष मिश्रा जमानत पर बाहर हैं और सत्ताधारी दल भी चुनाव जीत गया है, और वे उसे देखेंगे।”
लखीमपुर खीरी 3 अक्टूबर को भड़की थी हिंसा
उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले में 3 अक्टूबर 2021 को हिंसा भड़क गई, जिसमें चार किसानों सहित आठ लोगों की मौत हो गई। 17 नवंबर 2021 को, सुप्रीम कोर्ट ने लखीमपुर हिंसा की जांच की निगरानी के लिए पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश राकेश कुमार जैन को नियुक्त किया गया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इससे जांच में “पारदर्शिता, निष्पक्षता और पूर्ण निष्पक्षता” सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी। साथ ही इस पैनल में तीन आईपीएस अधिकारियों- एसबी शिराडकर, प्रीतिंदर सिंह और पद्मजा चौहान को शामिल करके योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा गठित एसआईटी का पुनर्गठन किया।